Edited By Harman Kaur,Updated: 28 Feb, 2025 12:56 PM
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केरल हाई कोर्ट ने राज्य में आकर अंतरधार्मिक विवाह करने वाले झारखंड के दंपति को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है। यह आदेश 27 फरवरी, 2025 को दिया गया, जब दंपति ने अपने परिवारों से मिली धमकियों के कारण कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट ने पुलिस को...
नेशनल डेस्क: केरल हाई कोर्ट ने राज्य में आकर अंतरधार्मिक विवाह करने वाले झारखंड के दंपति को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है। यह आदेश 27 फरवरी, 2025 को दिया गया, जब दंपति ने अपने परिवारों से मिली धमकियों के कारण कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वे दंपति की सुरक्षा सुनिश्चित करें और याचिका के लंबित रहने तक उन्हें झारखंड वापस न भेजें।
कोर्ट का आदेश
दंपति के वकील श्रीकांत थंबन के अनुसार, हाई कोर्ट ने कायमकुलम पुलिस स्टेशन के अधिकारी को दंपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही, कोर्ट ने पुलिस को मामले पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है और अगली सुनवाई से पहले जवाब देने को कहा है। याचिका में दंपति ने दावा किया कि वे 10 साल से एक-दूसरे के प्रेम संबंध में थे। इसके बाद, वे अपने परिवारों से मिल रही धमकियों और 'ऑनर किलिंग' (झूठी शान के नाम पर हत्या) के खतरे से बचने के लिए इस साल फरवरी में केरल आ गए थे। याचिका में यह भी कहा गया है कि उन्होंने 11 फरवरी को अलपुझा जिले के कायमकुलम में इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की थी।
परिवार से धमकियां और झारखंड पुलिस का दबाव
याचिका में यह भी बताया गया कि आशा की बहन 14 फरवरी को झारखंड के रजरप्पा से एक पुलिस अधिकारी के साथ केरल पहुंची और आशा पर दबाव डालने की कोशिश की कि वह यह कहे कि उसे अपहरण कर लिया गया है। हालांकि, आशा ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और इसके बाद उसने जिला पुलिस और राज्य पुलिस प्रमुख से शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उसने अपनी सुरक्षा की मांग की।
दंपति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
दंपति ने अपनी याचिका में यह कहा कि उनके परिवारों की धमकियों और पुलिस हस्तक्षेप के कारण उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि वह उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए और साथ ही परिवार द्वारा उन्हें जबरन वापस भेजने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दे। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि उनका संवैधानिक अधिकार है कि वे भारत में कहीं भी रहने और विवाह करने के लिए स्वतंत्र हों और इन अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता है।