Edited By Anu Malhotra,Updated: 18 Nov, 2024 02:27 PM
प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू रोड की निवासी एक नवविवाहिता का ऑस्ट्रेलिया का हनीमून टूर ब्लू डार्ट एक्सप्रेस कोरियर कंपनी की लापरवाही के कारण रद्द हो गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए कंपनी पर पीड़िता को 5910 रुपये मुआवजा, 8% ब्याज और...
नेशनल डेस्क: प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू रोड की निवासी एक नवविवाहिता का ऑस्ट्रेलिया का हनीमून टूर ब्लू डार्ट एक्सप्रेस कोरियर कंपनी की लापरवाही के कारण रद्द हो गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए कंपनी पर पीड़िता को 5910 रुपये मुआवजा, 8% ब्याज और मानसिक क्षति व अदालती खर्च के लिए अतिरिक्त राशि अदा करने का आदेश दिया।
क्या है मामला?
शादी के बाद, महिला का ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में 21 फरवरी 2014 को हनीमून का कार्यक्रम तय था। इसके लिए उसने 7 फरवरी को सिविल लाइंस, प्रयागराज स्थित ब्लू डार्ट एक्सप्रेस से पासपोर्ट और वीजा नई दिल्ली के राजौरी गार्डन भेजने के लिए 500 रुपये सर्विस शुल्क और 410 रुपये अतिरिक्त भुगतान किया। लेकिन कोरियर समय पर गंतव्य पर नहीं पहुंचा।
कंपनी ने 18 फरवरी को जानकारी दी कि डाक की डिलीवरी गलत पते पर हो गई है। इसके बावजूद पासपोर्ट वापस नहीं मिला, जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया का टूर रद्द हो गया। पीड़िता ने बताया कि इस दौरान टिकट और अन्य व्यवस्थाओं पर करीब 4 लाख रुपये खर्च हुए।
उपभोक्ता आयोग का आदेश
10 साल तक चली सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष मोहम्मद इब्राहिम और सदस्य प्रकाश चंद्र त्रिपाठी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए ब्लू डार्ट एक्सप्रेस के स्थानीय और क्षेत्रीय अधिकारियों को 2 महीने के भीतर 5910 रुपये मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया। इसमें 5000 रुपये मानसिक क्षति और 910 रुपये डाक शुल्क की भरपाई शामिल है। इसके अलावा, आयोग ने पीड़िता को वाद खर्च के लिए 2000 रुपये अलग से देने का भी निर्देश दिया।
कंपनी की दलील खारिज
ब्लू डार्ट ने दावा किया कि पीड़िता की मांग अनुचित है। लेकिन, आयोग ने इसे खारिज कर दिया और कंपनी को सेवा में लापरवाही का दोषी ठहराया।
दस साल बाद न्याय
पीड़िता ने 11 अप्रैल 2014 को इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। लंबी प्रक्रिया के बाद आयोग ने 10 साल बाद पीड़िता के पक्ष में फैसला सुनाया।