AAP ने कैसे बनाया ऑटो वालों को 'वोट बैंक'?

Edited By Mahima,Updated: 26 Dec, 2024 11:23 AM

how did aap make auto drivers a  vote bank

अरविन्द केजरीवाल को सबसे पहले ईश्वर का दर्जा दिल्ली के एक ऑटोवाले ने दिया था। मगर, इससे पहले उसने केजरीवाल से गले लगकर उन्हें जोरदार थप्पड़ जड़ दिया था। यह बात 2014 से पहले के आम चुनाव की है। उत्तर-पश्चिम दिल्ली में तब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रोड...

नेशनल डेस्क: अरविन्द केजरीवाल को सबसे पहले ईश्वर का दर्जा दिल्ली के एक ऑटोवाले ने दिया था। मगर, इससे पहले उसने केजरीवाल से गले लगकर उन्हें जोरदार थप्पड़ जड़ दिया था। यह बात 2014 से पहले के आम चुनाव की है। उत्तर-पश्चिम दिल्ली में तब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रोड शो कर रहे थे अरविन्द केजरीवाल। थप्पड़ लगने के बाद अरविन्द केजरीवाल ने रोड शो रद्द कर दिया था और सीधे महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट गये थे और घंटे भर मौन रहे।

हमलावर ऑटो ड्राइवर लाली न गिरफ्तार हुआ और न ही आम आदमी पार्टी या अरविन्द केजरीवाल की ओर से कोई एफआईआर ही लिखी गयी। अगले दिन ही केजरीवाल पहुंच गये लाली के घर पर। लाली का हालचाल पूछने लगे, परेशानी समझने लगे, चिंता समझने लगे। देखते-देखते लाली अरविन्द केजरीवाल के चरणों में गिर पड़ा। बाद में उसने मीडिया को बताया, “मैंने अपराध किया है। वो (अरविन्द केजरीवाल) मेरे लिए भगवान हैं। मैं ऐसा इसलिए किया (थप्पड़ मारा)क्योंकि कुछ ही दिन में सरकार छोड़ दी। सरकार केवल लोकपाल बिल के लिए नहीं थी। कई दूसरे मुद्दे भी थे।” प्रायश्चित भाव में लाली ने ये सबकुछ बयां किया था।

दिल्ली के ऑटो वाले पहले से ही अरविन्द केजरीवाल के साथ हर संघर्ष में थे। यह घटना भी जिस रूप में घटी उसका आशय यही था कि केजरीवाल ने सरकार छोड़ दी और चर्चा थी कि बीजेपी सत्ता में आ जाएगी तो क्या यही दिन देखने के लिए संघर्ष था? अब लाली ही नहीं सभी ऑटो वाले अरविन्द केजरीवाल के साथ आ चुके थे। तन, मन, धन से साथ हो चुके थे। 2015 में जब चुनाव हुए तो नतीजे चौंकाने वाले रहे। 70 में से 67 सीटें अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी जीत चुकी थी।

ऑटोवालों से ऐसे हैं अरविन्द केजरीवाल के रिश्ते
ऑटो वाले और अरविन्द केजरीवाल के बीच का रिश्ता अनोखा है और लगातारये मजबूत होता चला गया है। जब कभी जरूरत पड़ी दोनों एक-दूसरे के काम आए। दिल्ली में करीब 1 लाख ऑटो ड्राइवर हैं। सिर्फ ऑटो ड्राइवर ही नहीं बल्कि दूसरे ड्राइवरों की भावना भी एकसमान रही है। सीएनजी के दाम बढ़े हों, एप आधारित टैक्सी से मिल रही चुनौती हो या फिर ई रिक्शा से हो रही समस्या- हर मुद्दे पर ड्राइवरों और खासकर ऑटो ड्राइवरों ने अरविन्द केजरीवाल की ओर ही देखा है। ऑटो चालकों की दिक्कतों को दूर करने की कोशिशें भी अरविन्द केजरीवाल ही करते दिखे हैं।

हाल में अरविन्द केजरीवाल ने कई घोषणाएं ऐसी की हैं जिसने ऑटो वालों का दिल छुआ है। बिटिया की शादी तक की फिक्र दिखलाई है। शादी में एक लाख रुपये की मदद दिल्ली की सरकार देगी अगर आम आदमी पार्टी जीत कर आई। दस साल मे दो बार वर्दी बनाने के लिए ढाई-ढाई हजार रुपये मिलेंगे। एक्सीडेंट होने पर 5 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा। 10 लाख रुपये का जीवन बीमा भी होगा। ये घोषणाएं ‘जिन्दगी के साथ भी जिन्दगी के बाद भी’ की याद दिलाती हैं। सड़क पर गाड़ी हो तो दुर्घटनाओं की आशंका रहती है और जिन्दगी भी जोखिम मे होती है। ऐसे में 5 लाख का एक्सिडेन्टल क्लेम दोबारा उठ खड़े होने का अवसर देता है तो किसी अनहोनी की स्थिति में एक्सिडेन्टल क्लेम और लाइफ इन्श्योरेंस मिलकर एक ऑटो ड्राइवर के परिवार को पांच लाख और दस लाख यानी पंद्रह लाख रुपये का संबल भी प्रदान करता है।

ड्राइवर समुदाय की नब्ज समझते हैं केजरीवाल
अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने इससे पहले ऑटो ही नहीं सभी वाहनों के लिए कई घोषणाएं कीं जो पूरे ड्राइवर समुदाय के लिए मददगार साबित हुई हैं। दिल्ली में 2.5 लाख पब्लिक ट्रांसपोर्ट की गाड़ियां चलती हैं। लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस के लिए सालाना लगने वाला शुल्क खत्म कर दिया गया। 1416 रुपये की तत्काल बचत हो गयी। ऑटो और काली-पीली टैक्सियों का ट्रैकिंग डिवाइस शुल्क 2019 में ही केजरीवाल सरकार ने माफ कर दिया था। उसी साल ऑटो चालकों के लिए फिटनेस टेस्ट फ्री करते हुए उनकी 400 रुपये की बचत कराई थी। लेट फीस भी 30 रुपये कम कर दिए थे। रजिस्ट्रेशन फी पर 700 रुपये की बचत करायी थी तो डुप्लीकेट आरसी पर साढ़े तीन सौ रुपये बचाए थे। ट्रांसफर ऑफ ऑनरशिप शुल्क भी 350 रुपये कम कर दिए गये थे। फिटनेस टेस्ट सर्टिफिकेट के लिए शुल्क में 2000 रुपये की कमी कर दी गयी थी। ये सभी राहत जोड़ें तो 6 हजार रुपये की बचत तो ऑटो ड्राइवर ही नहीं बाकी पेशेवर ड्राइवरों को भी हो चुकी थी। 

आम लोगों की परेशानी को समझना और उन परेशानियों को दूर करना कोई छोटी बात नहीं होती। इस शिद्दत के साथ देश में कौन सी पार्टी या नेता काम में जुटे दिखते हैं? ऑटो ड्राइवर अगर ‘फिर लाएंगे केजरीवाल’ के पोस्टर लगाए घूमते दिखते हैं तो इसके पीछे उनका केजरीवाल के साथ का रहा नाता ही अहम वजह होता है। बीजेपी हो या फिर कांग्रेस उनके साथ ऑटो ड्राइवरों का ये भावनात्मक रिश्ता नहीं बन पाया है तो फर्क सिर्फ अरविन्द केजरीवाल की ही वजह से दिखता है। लाली ने जो भगवान का दर्जा अरविन्द केजरीवाल को दस साल पहले दिया था उसकी वजह तात्कालिक भावना और घटनाएं जरूर रही होंगी, लेकिन बाद के दिनों में केजरीवाल ने उस रिश्ते को कम से कम ऑटो ड्राइवरों के साथ मजबूत और बहुत मजबूत बनाया है।

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