Edited By Rohini Oberoi,Updated: 27 Feb, 2025 12:43 PM
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने समुद्र में डूबी भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका और बेट द्वारका के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू करने का फैसला किया है। यह अभियान मार्च में शुरू होने की संभावना है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य...
नेशनल डेस्क। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने समुद्र में डूबी भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका और बेट द्वारका के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू करने का फैसला किया है। यह अभियान मार्च में शुरू होने की संभावना है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य द्वारका के अवशेषों की खोज, उनके काल का निर्धारण और पुरातात्विक तथा वैज्ञानिक अध्ययन करना है। समुद्र के भीतर बिखरे इस प्राचीन शहर के अवशेषों को निकालकर उन पर अध्ययन किया जाएगा।
इस अभियान में क्या होगा?
एएसआई इस अभियान के तहत अरब सागर में समाहित द्वारका के 3.218 किमी चौड़े और 6.437 किमी लंबे क्षेत्र का पुरातात्विक सर्वेक्षण करेगा। इस सर्वेक्षण के दौरान द्वारका के समुद्र में डूबे अवशेषों को खोजने के लिए 'अंडरवाटर आर्कियोलॉजी विंग' (यूएडब्ल्यू) की टीम काम करेगी। यह अभियान यूएडब्ल्यू के पुनर्गठन के बाद का पहला बड़ा अभियान है।
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क्यों महत्वपूर्ण है यह अभियान?
समुद्र में डूबी द्वारका और बेट द्वारका भारतीय संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है। इन स्थानों को लेकर करोड़ों भारतीयों की जिज्ञासा है और यह अभियान उनकी इन जिज्ञासाओं को शांत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। एएसआई के इस नए पहल से कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आने की संभावना है।
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एएसआई की तैयारी
प्रो. आलोक त्रिपाठी के नेतृत्व में यूएडब्ल्यू के पुनर्गठन के बाद यह अभियान शुरू हो रहा है। पहले चरण में पांच पुरातत्वविदों की टीम ने प्रारंभिक अध्ययन किया है और इस रिपोर्ट को तैयार किया जा रहा है। अगले महीने से इस अभियान के लिए खोदाई का कार्य शुरू किया जाएगा। इस अभियान के दूसरे चरण में समुद्र तल में काम करने के लिए टीम को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। समुद्र के भीतर काम करना चुनौतीपूर्ण होता है और इस वजह से गति भी धीमी हो सकती है।
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महिलाओं की भूमिका
यूएडब्ल्यू में इस बार बड़ी संख्या में महिला पुरातत्वविद भी शामिल की गई हैं। यह इस अभियान में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
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नई तकनीकों का उपयोग
इस अभियान में समुद्र की गहराइयों में होने वाले शोध के लिए 'मल्टीबीम सोनार' और 'इकोसाउंडर' जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाएगा। ये अत्याधुनिक उपकरण समुद्र तल का थ्रीडी चित्र तैयार करने और डेटा जुटाने में मदद करेंगे। इससे द्वारका और बेट द्वारका के बारे में कई नई जानकारी सामने आ सकती है खासकर उस समय के व्यापारिक और बंदरगाह केंद्रों के बारे में।
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अंत में कहा जा सकता है कि यह अभियान न केवल द्वारका के रहस्यों को उजागर करेगा बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं को भी सामने लाएगा। इसके जरिए द्वारका के प्राचीन शहर की और अधिक जानकारी मिलने की उम्मीद है जो इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हो सकती है।