Edited By Pardeep,Updated: 15 Oct, 2024 05:52 AM
भारत और कनाडा के बीच तनाव एक बार फिर से काफी ज्यादा बढ़ गया है। भारत सरकार ने सोमवार की शाम कनाडा सरकार को जमकर लताड़ लगाई थी और अपने राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला किया था।
नेशनल डेस्कः भारत और कनाडा के बीच तनाव एक बार फिर से काफी ज्यादा बढ़ गया है। भारत सरकार ने सोमवार की शाम कनाडा सरकार को जमकर लताड़ लगाई थी और अपने राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला किया था। वहीं, अब भारत ने कनाडा के खिलाफ एख और सख्त कदम उठाया है। भारत सरकार ने कनाडा के 6 राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया है।
इस तारीख तक देश छोड़ने को कहा
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई है कि भारत में रह रहे 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया गया है। विदेश मंत्रालय ने आगे बताया है कि सभी निष्कासित किए गए 6 कनाडाई राजनयिकों को 19 अक्टूबर रात 11:59 बजे तक या उससे पहले भारत छोड़ने को कहा गया है।
भारत सरकार ने इन 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का निर्णय लिया है:
1. स्टीवर्ट रॉस व्हीलर, कार्यवाहक उच्चायुक्त
2. पैट्रिक हेबर्ट, उप उच्चायुक्त
3. मैरी कैथरीन जोली, प्रथम सचिव
4. लैन रॉस डेविड ट्राइट्स, प्रथम सचिव
5. एडम जेम्स चुइप्का, प्रथम सचिव
6. पाउला ओरजुएला, प्रथम सचिव
भारत ने राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाया
भारत सरकार ने सोमवार को कनाडा से अपने उच्चायुक्त और अन्य लक्षित राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में, ट्रूडो सरकार के कार्यों ने राजनयिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया। हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की वर्तमान कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। इसलिए भारत सरकार ने फैसला किया है कि उच्चायुक्त और अन्य लक्षित राजनयिकों और अधिकारियों को कनाडा से वापस बुला लिया जाए।
कनाडा पुलिस ने कहा, भारतीय एजेंट्स ने कई जानकारियां जुटाईं
कनाडाई पुलिस के कमिश्नर माइक दुहेमे ने प्रेस कॉन्फ्रेस भी की। कहा, 'कनाडा में भारतीय राजनयिक और अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर गुप्त तरीके से भारत सरकार के लिए जानकारियां जुटाई हैं। इसके लिए भारतीय अधिकारियों ने एजेंट्स का इस्तेमाल किया। इनमें से कुछ एजेंट्स को भारत सरकार के साथ काम करने के लिए धमकाया गया और उन पर दबाव बनाया गया।
उन्होंने बताया कि भारत ने जो जानकारी जुटाई, उसका इस्तेमाल दक्षिण एशियाई लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है। हमने भारत सरकार के अधिकारियों को इसके सबूत दिए थे और उनसे हिंसा को रोकने और सहयोग करने की अपील की थी।'
भारत-कनाडा के संबंधों में उतार-चढ़ाव क्यों आया?
- भारत-कनाडा संबंध 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की मौत के बाद खराब हुए।
- जस्टिन ट्रडो ने सितंबर 2023 में निज्जर की मौत के पीछे भारतीय एजेंट्स का हाथ बताया।
- भारत ने कनाडा सरकार के इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया।
- भारत ने निज्जर को साल 2020 में आतंकी घोषित किया था।
- अक्टूबर 2023 में भारत ने कनाडा के 41 डिप्लोमैट्स को वापस भेज दिया था।
- कनाडा ने भारत के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया था।
- भारत-कनाडा संबंधों में जो क्लेश हुआ है, उसके पीछे एक तरह से निज्जर था। ये खालिस्तानी आतंकी भारत के खिलाफ साजिशों में शामिल रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि कनाडा के प्रधानमंत्री ऐसे लोगों के लिए प्रेम दिखाते हैं। फिर करते हैं कि भारत के साथ उनके रिश्ते अच्छे रहें।
ट्रूडो का खालिस्तान प्रेम
जून 2017 में जब खालिस्तानियों ने खालसा डे परेड का आयोजन किया था, उस वक्त कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने उस परेड में हिस्सा लिया था। परेड में ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गये जरनैल सिंह भिंडरावाले को हीरो के रूप में पेश किया गया था।
जनवरी 2018 में जब कनाडा के 16 गुरुद्वारों में भारतीय अधिकारियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई थी, तब भी ट्रूडो सरकार की तरफ से एक भी बयान जारी नहीं किया गया था. इसे अभिव्यक्ति की आजादी बताकर रफा-दफा कर दिया गया था।
साल 2021 में जब भारत में किसान आंदोलन चल रहा था, तब भी जस्टिन ट्रूडो ने भारत के आतंरिक मामले में दखलअंदाजी की थी और प्रोपेगेंडा चलाया था।
वोट का लालच
कनाडा की संसद में 338 सांसद होते हैं, जिनमें से इस वक्त 18 सिख सांसद हैं।
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी, इस वक्त संसद में अल्पमत की सरकार चला रही है, जिसे न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन है।
न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष जगमीत सिंह हैं। जो अपनी बातों से खालिस्तानी विचारों के प्रति समर्पित नजर आते हैं।