Edited By Tanuja,Updated: 29 Jan, 2025 11:33 AM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर जोर उन देशों के लिए बड़ा संदेश है जो अगला चीन बनने की दौड़ में हैं। उन्हें अपनी रणनीति दोबारा तैयार करनी होगी...
Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर जोर उन देशों के लिए बड़ा संदेश है जो अगला चीन बनने की दौड़ में हैं। उन्हें अपनी रणनीति दोबारा तैयार करनी होगी। भारत को भी अपने सप्लाई चेन सिस्टम को मजबूत करने और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की चुनौतियों को तेजी से हल करने की जरूरत है। ट्रंप ने 'मेक इन अमेरिका' को बढ़ावा देने के लिए 'ईनाम और सजा' वाली रणनीति अपनाई है। वह चाहते हैं कि कंपनियां अमेरिका में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करें, अन्यथा अमेरिकी बाजार में सामान बेचने पर ऊंचे शुल्क चुकाएं। दावोस में विश्व आर्थिक मंच पर उन्होंने कहा, "दुनिया की हर कंपनी के लिए मेरा संदेश साफ है अमेरिका में निर्माण करें, और हम आपको सबसे कम टैक्स देंगे।" ट्रंप ने अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों के लिए 15% कॉर्पोरेट टैक्स की पेशकश की है।
वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग पर असर
पिछले कुछ दशकों में मैन्युफैक्चरिंग चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों में शिफ्ट हुई है। इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कपड़ों तक, एशियाई देशों ने वैश्विक आपूर्ति चेन पर दबदबा बना लिया है। हालांकि, हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग जैसे चिप निर्माण में अमेरिका ने फिर से निवेश बढ़ाया है। अमेरिका में श्रम लागत अधिक होने के कारण कई कंपनियां ठेके पर निर्माण कार्य करवाती हैं। उदाहरण के लिए, एनवीडिया अपने एआई चिप्स भारत और अन्य देशों में डिजाइन करता है, जबकि ताइवान में टीएसएमसी उन्हें बनाता है। एप्पल के उत्पाद भी अमेरिका में डिजाइन होते हैं लेकिन निर्माण चीन, भारत आदि में होता है।
भारत के लिए चुनौतियां
इससे भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को कई बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। भारत की लॉजिस्टिक्स लागत GDP का 14-15% है, जबकि इसे राष्ट्रीय रसद नीति 2022 के तहत 9% तक लाने का लक्ष्य है। इससे प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) मैन्युफैक्चरिंग सुधारने में मदद कर रही है, लेकिन इसकी गति अपेक्षाकृत धीमी है।
- - पुरानी तकनीक और असंगत गुणवत्ता मानक
- - कुशल श्रमिकों की कमी
- - जटिल नियम और नीतियां
- - अनुसंधान एवं विकास (R&D) में कम निवेश (GDP का केवल 0.64%)
अन्य एशियाई देशों की बढ़त
नीति आयोग की दिसंबर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 'चीन प्लस वन रणनीति' का लाभ भारत को सीमित रूप से मिला है, जबकि वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया और मलेशिया अधिक लाभान्वित हुए हैं। इन देशों ने सस्ते श्रम, सरल कर व्यवस्था, कम शुल्क और मुक्त व्यापार समझौतों के जरिये अपनी निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाई है। अब, अमेरिका की सख्त व्यापार नीतियों के बीच भारत को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की अड़चनों को दूर करने के लिए तेजी से कदम उठाने होंगे, वरना यह अवसर भी हाथ से निकल सकता है।