Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 08 Feb, 2025 11:13 AM
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दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आज घोषित होने हैं। 5 फरवरी को हुए मतदान के बाद अब सभी की निगाहें परिणामों पर हैं। इस चुनावी प्रक्रिया में केवल वोटिंग और नतीजे ही नहीं होते, बल्कि एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान भी है, जिसे हम जमानत जब्त होने के रूप...
नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आज घोषित होने हैं। 5 फरवरी को हुए मतदान के बाद अब सभी की निगाहें परिणामों पर हैं। इस चुनावी प्रक्रिया में केवल वोटिंग और नतीजे ही नहीं होते, बल्कि एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान भी है, जिसे हम जमानत जब्त होने के रूप में जानते हैं। तो आखिर यह जमानत क्या होती है और क्यों यह उम्मीदवारों के लिए चिंता का कारण बन सकती है, जानिए इस रिपोर्ट में
जमानत क्या है?
किसी भी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए एक निर्धारित राशि चुनाव आयोग के पास जमा करनी होती है, जिसे 'जमानत राशि' या सिक्योरिटी डिपॉजिट कहा जाता है। चुनाव आचार संहिता के तहत, उम्मीदवार को यह राशि चुनाव आयोग के पास जमा करनी होती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि वह गंभीरता से चुनाव में भाग ले रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 10,000 रुपये और एससी-एसटी उम्मीदवार को 5,000 रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा करनी होती है। यह राशि उम्मीदवार की तरफ से सुरक्षा के तौर पर रखी जाती है, जो चुनाव आयोग को उम्मीदवार के चुनावी प्रक्रिया में सच्चाई और गंभीरता का संकेत देती है।
जमानत जब्त क्यों होती है?
अब सवाल यह है कि जमानत जब्त क्यों होती है? अगर किसी उम्मीदवार को चुनाव में कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट नहीं मिलते हैं, तो चुनाव आयोग उनकी जमानत राशि जब्त कर लेता है। इसका मतलब है कि अगर कोई उम्मीदवार चुनाव में पूरी तरह से असफल रहता है और उसे निर्धारित प्रतिशत वोट नहीं मिलते, तो उसकी जमानत राशि वापस नहीं मिलती। यह नियम इस उद्देश्य से रखा गया है ताकि उम्मीदवार अपने चुनावी प्रयासों को गंभीरता से लें। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया में किसी प्रकार की फिजूलखर्ची या चुनावी हेरा-फेरी न करें। अगर उम्मीदवार को 16.66% से अधिक वोट मिलते हैं, तो उसकी जमानत राशि उसे वापस कर दी जाती है।
जमानत की वापसी के अन्य कारण
अगर कोई उम्मीदवार नामांकन वापस लेता है या उसका नामांकन रद्द हो जाता है, तो उसकी जमानत राशि उसे वापस कर दी जाती है। यह भी एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे उम्मीदवार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का मौका मिलता है।
कितना होता है नुकसान?
लोकसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को जमानत के तौर पर 25,000 रुपये जमा करने होते हैं, जबकि एससी-एसटी उम्मीदवारों को 12,500 रुपये जमा करने होते हैं। विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 10,000 रुपये और एससी-एसटी उम्मीदवारों को 5,000 रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा करनी होती है। इस नियम का मुख्य उद्देश्य उम्मीदवारों को गंभीरता से चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित करना है। इस तरह से जमानत की राशि एक प्रकार का फाइन होता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया में असंवैधानिक या अनुचित तरीके से भाग न ले।