Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 19 Mar, 2025 01:45 PM

भारत में संपत्ति के अधिकारों को लेकर कई सालों से विवाद और सवाल उठते रहे हैं। खासकर बेटियों के संपत्ति में अधिकार को लेकर। क्या शादी के बाद भी बेटी को संपत्ति पर अधिकार रहेगा? अगर हां, तो यह अधिकार कब तक रहेगा?
नेशनल डेस्क: भारत में संपत्ति के अधिकारों को लेकर कई सालों से विवाद और सवाल उठते रहे हैं। खासकर बेटियों के संपत्ति में अधिकार को लेकर। क्या शादी के बाद भी बेटी को संपत्ति पर अधिकार रहेगा? अगर हां, तो यह अधिकार कब तक रहेगा? ये सवाल अक्सर सामने आते हैं। भारत में इस संबंध में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1965 के तहत कानून बनाए गए हैं, जो बेटियों को उनके अधिकारों को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। आइए, जानते हैं कि शादी के बाद भी बेटियों का संपत्ति पर क्या हक होता है और इस कानून में क्या बदलाव हुए हैं।
हिंदू उत्तराधिकार कानून में बड़ा बदलाव (2005)
साल 2005 से पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून में बेटियों को संपत्ति में उतना हक नहीं मिलता था जितना बेटों को। शादी के बाद, वे परिवार के सदस्य नहीं मानी जाती थीं और उनके पास संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं था। लेकिन, 2005 में इस कानून में संशोधन किया गया, जिससे बेटियों को बेटों के समान संपत्ति में अधिकार मिल गया। अब शादी के बाद भी बेटियां अपने पिता की संपत्ति में बराबरी का हिस्सा प्राप्त कर सकती हैं।
शादी के बाद भी हक रहेगा या क्या कभी खत्म होगा?
साल 2005 में हुए इस संशोधन के बाद से यह साफ हो गया कि शादी के बाद भी बेटियों का संपत्ति पर हक हमेशा रहेगा। इस अधिकार को लेकर कोई समय सीमा नहीं तय की गई है। यानी, बेटी का अधिकार शादी के बाद भी पिता की संपत्ति पर बरकरार रहेगा, और इसे कभी खत्म नहीं किया जाएगा।
पैतृक संपत्ति और स्वअर्जित संपत्ति में फर्क
हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत संपत्ति को दो श्रेणियों में बांटा गया है:
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पैतृक संपत्ति - यह वह संपत्ति होती है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आती है, जैसे दादा-दादी की संपत्ति। इस संपत्ति पर बेटा-बेटी दोनों का समान अधिकार होता है।
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स्वअर्जित संपत्ति - यह वह संपत्ति है जिसे व्यक्ति ने अपनी मेहनत या कमाई से प्राप्त किया हो। इस पर व्यक्ति का खुद का अधिकार होता है, और वह चाहे तो इसे बेटे या बेटी के नाम कर सकता है।
अगर पिता का निधन हो जाए और संपत्ति का बंटवारा न हुआ हो, तो बेटे और बेटियों दोनों को संपत्ति में समान हिस्सा मिलेगा। अगर पिता ने अपनी स्वअर्जित संपत्ति किसी के नाम की हो, तो वह व्यक्ति ही उस संपत्ति का मालिक होगा।
क्या होता है अगर पिता ने संपत्ति का बंटवारा न किया हो?
अगर पिता की मृत्यु के समय संपत्ति का बंटवारा नहीं हुआ है, तो ऐसी स्थिति में बेटा और बेटी दोनों को संपत्ति का समान हिस्सा मिलता है। इस स्थिति में कोई भी बेटा या बेटी संपत्ति के कानूनी वारिस होते हैं। इसका मतलब है कि संपत्ति पर बेटियों का अधिकार हमेशा रहेगा, चाहे शादी हो या न हो, या फिर कितने ही साल क्यों न बीत जाएं।
क्या पिता को संपत्ति का बंटवारा करने का अधिकार है?
जी हां, पिता को अपनी स्वअर्जित संपत्ति का बंटवारा करने का पूरा अधिकार होता है। वह चाहे तो संपत्ति को केवल बेटे के नाम कर सकते हैं, केवल बेटी के नाम कर सकते हैं या फिर दोनों को बराबर बांट सकते हैं। यह निर्णय पिता के विवेक पर निर्भर करता है। अगर बंटवारा नहीं किया गया है तो यह कानून से तय किया जाएगा कि बेटा और बेटी दोनों का समान अधिकार है।