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कैसे अर्श से फर्श पर आई नखरेबाज IAS Pooja Khedkar, कौन-कौन से लगे हैं आरोप? जानिए सबकुछ

Edited By rajesh kumar,Updated: 31 Jul, 2024 05:04 PM

how the tantrum loving ias pooja khedkar fell from the heights to the ground

भारत में आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) की बहुत बड़ी प्रतिष्ठा है। यह सेवा इतनी महत्वपूर्ण मानी जाती है कि इसके लिए लोग कई सालों तक तैयारी करते हैं और कभी-कभी तो काम से भी ब्रेक ले लेते हैं। कई युवाओं का सपना होता है कि वे आईएएस बनकर पावर हासिल करें।...

नेशनल डेस्क: भारत में आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) की बहुत बड़ी प्रतिष्ठा है। यह सेवा इतनी महत्वपूर्ण मानी जाती है कि इसके लिए लोग कई सालों तक तैयारी करते हैं और कभी-कभी तो काम से भी ब्रेक ले लेते हैं। कई युवाओं का सपना होता है कि वे आईएएस बनकर पावर हासिल करें। महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर का मामला भी इसी तरह चर्चा में आया है। अपनी पहली नियुक्ति के दौरान उन्होंने कुछ विवादित और अनुचित मांगें कीं, जिससे वह चर्चा का विषय बन गई हैं। इस विवाद ने उनकी कार्यशैली और आईएएस की प्रतिष्ठा को लेकर सवाल उठाए और अब यूपीएससी ने उनपर सभी परीक्षाओं में बैठने पर बैन लगा दिया, साथ ही आईएएस पद से भी फिलहाल हटा दिया।  तो आइए जानें आखिर कैसे अर्श से फर्श पर नखरेबाज IAS पूजा आई-

पूजा खेडकर ने 2021 में यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा पास की थी और 841वीं रैंक प्राप्त की थी। उन्होंने लल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) में अपनी ट्रेनिंग पूरी की। जून 2024 में उन्हें पुणे कलेक्टर ऑफिस में पहली नियुक्ति मिली, जो कि उनकी ट्रेनिंग का हिस्सा थी। हालांकि, आरोपों और जांच के बीच, पूजा खेडकर की नियुक्ति पुणे में सिर्फ एक महीने ही चली। इसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया। पूजा खेडकर ने पुणे के श्रीमती काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है।
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कई मीडिया रिपोर्ट्स में उन्हें एंडोक्रिनोलॉजिस्ट बताया गया है। पूजा खेडकर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की पाथर्डी तहसील से हैं और उनके परिवार का प्रशासनिक और राजनीतिक बैकग्राउंड रहा है। पूजा के पिता, दिलीपराव खेडकर, महाराष्ट्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रिटायर्ड अधिकारी हैं। उनके नाना, जगन्नाथ बुधवंत, वंजारी समुदाय के पहले आईएएस अफसर थे। पूजा की मां, मनोरमा खेडकर, भलगांव की सरपंच हैं।आईएएस पूजा खेडकर विवाद: जानिए पूरी कहानी

क्या हुआ?
आईएएस पूजा खेडकर को अपने प्रोबेशन पीरियड के दौरान पुणे में एडीएम (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट) के रूप में नियुक्ति मिली थी। ट्रेनिंग के इस दौर में अधिकारियों को प्रशासन का कामकाज सिखाया जाता है। लेकिन आरोप है कि पूजा ने ऑफिस जॉइन करने से पहले ही अनुचित मांगें शुरू कर दी थीं। कई अफसरों ने इन शिकायतों को कलेक्टर के पास पहुंचाया, जिसके बाद पुणे के जिलाधिकारी सुहास दिवसे ने उनकी शिकायत मुख्य सचिव के पास भेजी।

आईएएस पूजा खेडकर पर कौन-कौन से आरोप हैं?

  • अनुचित मांगें: पूजा खेडकर ने ट्रेनिंग के दौरान सरकारी आवास, स्टाफ, गाड़ी, और ऑफिस में अलग केबिन की मांग की।
  • गैरकानूनी बत्तियां और Logo: उन्होंने अपनी निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का लोगो लगाकर अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया।
  • दबाव बनाना: पूजा खेडकर ने चोरी के आरोप में गिरफ्तार एक ट्रांसपोर्टर को छोड़ने के लिए डीसीपी रैंक के अधिकारी पर दबाव डाला।
  • फेक सर्टिफिकेट का इस्तेमाल: उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने आईएएस बनने के लिए फेक सर्टिफिकेट का उपयोग किया। उन्होंने यूपीएससी फॉर्म में खुद को ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर का दावेदार बताया।
  • महंगी संपत्ति: पूजा खेडकर पर यह आरोप भी है कि उनकी पारिवारिक संपत्ति करोड़ों में है और खुद भी करीब 17 करोड़ की मालकिन हैं। उनके पास 17 लाख रुपये की घड़ी भी बताई जा रही है।
  • विकलांगता का झूठा दावा: पूजा खेडकर ने विकलांगता श्रेणी के तहत यूपीएससी फॉर्म भरा था और दावा किया था कि वह 40% दृष्टिबाधित हैं और मानसिक बीमारी से जूझ रही हैं। हालांकि, मेडिकल परीक्षा के लिए बुलाए जाने पर वह कभी नहीं आईं।
  • एमबीबीएस कॉलेज में हेरफेर: पूजा ने एमबीबीएस कॉलेज में दाखिले के समय डॉक्यूमेंट्स में हेरफेर किया। 2011 या 2012 में मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के समय उनके पिता सेवा में थे।

पढ़ाई में कैसी थीं पूजा खेडकर?
आईएएस पूजा खेडकर ने 2021 में यूपीएससी परीक्षा पास की थी और 841वीं रैंक हासिल की थी। उनकी पढ़ाई का रिकॉर्ड अच्छा रहा है। 10वीं में उन्होंने 83% और 12वीं में 74% अंक प्राप्त किए थे। इसके बाद, उन्होंने मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा दी थी। हालांकि सीईटी में उनके अंक कम थे, लेकिन प्राइवेट कॉलेज के एंट्रेंस एग्जाम में उन्होंने 200 में से 146 अंक प्राप्त किए और पुणे के श्रीमती काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लिया था।
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CAT और मेडिकल टेस्ट का मामला
पूजा खेडकर का विवाद तब शुरू हुआ जब उन्होंने ‘अंधत्व और मानसिक बीमारी’ का दावा किया। इस दावे के आधार पर उन्हें यूपीएससी परीक्षा में बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी के तहत लाभ मिला। यूपीएससी ने उन्हें अप्रैल 2022 में एम्स, नई दिल्ली में मेडिकल जांच के लिए बुलाया, लेकिन उन्होंने कोविड-19 के कारण इसे रीशेड्यूल करवा दिया। फिर यूपीएससी ने उनकी ब्रेन MRI जांच कराने के लिए कहा, लेकिन पूजा ने एक निजी मेडिकल सेंटर की रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे यूपीएससी ने खारिज कर दिया। 23 फरवरी 2023 को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया, लेकिन बाद में उनकी MRI रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया।

पिता की प्रतिक्रिया
आईएएस पूजा खेडकर के पिता, दिलीप खेडकर, जिन्होंने राजनीति से पहले खुद भी ब्योरोक्रेट के रूप में काम किया है, ने आरोपों को निराधार बताया। उनका कहना है कि अगर पूजा ने ऑफिस में अपनी सुविधाओं के लिए कोई मांग की है, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पूजा ने कार का इस्तेमाल अधिकारियों की अनुमति से किया और कार उनकी नहीं, बल्कि किसी रिश्तेदार की है।
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मल्टी डिसेबिलिटी का दावा
दिलीप खेडकर का कहना है कि पूजा खेडकर ओबीसी एनसीएल के नॉर्म्स को पूरा करती हैं और उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए कोई गलत जानकारी नहीं दी है। पूजा 40% दृष्टि बाधित हैं और एक मानसिक बीमारी से जूझ रही हैं, जिसका उल्लेख उन्होंने यूपीएससी फॉर्म में किया था। दिलीप खेडकर ने कहा कि अगर जांच में कुछ गलत पाया गया, तो वह खुद अपनी बेटी से इस्तीफा देने के लिए कहेंगे।

अब उम्मीदवारी को भी रद्द कर दिया गया
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने बड़ा कदम उठाया है। यूपीएससी ने Pooja Khedkar के भविष्य में किसी भी परीक्षा या चयन में भाग लेने पर रोक लगा दी है। यूपीएससी ने आईएएस पूजा खेडकर के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए उनकी CSE-2022 की उम्मीदवारी को भी रद्द कर दिया है। आयोग ने पुष्टि की है कि पूजा खेडकर ने CSE-2022 के नियमों का उल्लंघन किया है।

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यूपीएससी ने CSE के पिछले 15 वर्षों के डाटा की गहन जांच की, जिसमें 15 हजार से अधिक उम्मीदवार शामिल थे। जांच के दौरान पाया गया कि पूजा खेडकर ने परीक्षा के नियमों का पालन नहीं किया। इस जांच के आधार पर उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया गया है। खेडकर के खिलाफ पिछले कुछ समय से विभिन्न विवादों की रिपोर्टें सामने आ रही थीं, जिनमें उनके कार्यशैली और फैसलों को लेकर सवाल उठाए गए थे।

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