Edited By Pardeep,Updated: 09 Feb, 2025 11:41 PM
भारत अपनी सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली दवाइयों का निर्यात अमेरिका/ईयू को करता है क्योंकि वहां नियम सख्त हैं। सबसे खराब गुणवत्ता वाली दवाइयां भारत में ही रहती हैं। खासकर देश के दूरदराज के इलाकों में दूषित और नकली दवाइयां एक समस्या हैं।
नेशनल डेस्कः भारत अपनी सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली दवाइयों का निर्यात अमेरिका/ईयू को करता है क्योंकि वहां नियम सख्त हैं। सबसे खराब गुणवत्ता वाली दवाइयां भारत में ही रहती हैं। खासकर देश के दूरदराज के इलाकों में दूषित और नकली दवाइयां एक समस्या हैं। अच्छी बात यह है कि खाने की तरह, दवा को पलटकर लेबल पढ़ने से आपको इसकी गुणवत्ता और प्रामाणिकता के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है।
वैसे स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी समस्या का समाधान डॉक्टर की सलाह से ही होना चाहिए और दवाओं का सेवन बिना डॉक्टर की मंजूरी के करना कभी भी सुरक्षित नहीं होता है। खुद से दवाएं खरीदने और उनका सेवन करने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जिनमें नकली दवाओं का सेवन भी शामिल है। इसलिए दवाइयों को लेकर पूरी सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है।
नकली दवाओं से बचाव के उपाय:
दवाई खरीदने के बाद बिल जरुर लें: जब भी आप दवाई खरीदने के लिए किसी मेडिकल स्टोर पर जाएं तो दवाई खरीदने के बाद प्रिंटेड बिल जरुर मांगें। यदि दुकान रजिस्टर्ड हुई तो वे पक्का बिल देने से संकोच नहीं करेंगे। यदि वे मेडिकल स्टोर पर नकली दवाइयां बेच रहे होंगे तो दुकानदार पक्का बिल देने से टाल-मटोल करके बचने की कोशिश करेंगे।
क्यूआर कोड की जांच करें: जब भी आप दवा खरीदने जाएं, तो सबसे पहले दवा के पैकेट या रैपर पर क्यूआर कोड की जांच करें। असली दवाइयों पर यह क्यूआर कोड हमेशा होता है, जिसे आप अपने स्मार्टफोन से स्कैन कर सकते हैं। इस क्यूआर कोड के माध्यम से आपको उस दवा की पूरी जानकारी मिल जाती है, जैसे कि उसका निर्माता, सप्लाई चेन और अन्य जरूरी विवरण।
अगर क्यूआर कोड नहीं है, तो यह संकेत हो सकता है कि दवा नकली हो सकती है। इसके अलावा, 100 रुपये से ऊपर की कीमत वाली दवाओं पर क्यूआर कोड होना अनिवार्य है, और यदि किसी दवा के रैपर पर यह कोड न हो तो आपको उस दवा को खरीदने से बचना चाहिए।
सेंट्रल डेटाबेस से जानकारी प्राप्त करें: दवाओं पर जो क्यूआर कोड होता है, वह एक एडवांस वर्जन का होता है, जिसे सेंट्रल डेटाबेस एजेंसी द्वारा जारी किया जाता है। यह कोड नियमित रूप से बदलता रहता है, जिससे नकली क्यूआर कोड बनाना अत्यधिक कठिन होता है। इसके जरिए आपको दवा के बारे में सटीक जानकारी मिलती है और आप यह जान सकते हैं कि वह दवा असली है या नहीं।
हेल्पलाइन नंबर का उपयोग करें: दवाओं के रैपर पर एक हेल्पलाइन नंबर भी दिया जाता है। अगर आपको किसी दवा के असली होने पर संदेह है, तो आप इस हेल्पलाइन नंबर पर SMS कर सकते हैं। इसके बाद, कंपनी आपको पूरी जानकारी भेजकर यह बताएगी कि वह दवा असली है या नकली।
निर्देशों के अनुसार दवाओं का सेवन करें: डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक और सेवन के तरीके का पालन करें। किसी भी दवा को बिना डॉक्टर की सलाह के अधिक या कम मात्रा में लेना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके साथ ही, दवाओं को उनके सही समय और परिस्थितियों में लें, ताकि उनका प्रभाव सही तरीके से काम कर सके।
दवाओं के पैकेज और लेबल को ध्यान से पढ़ें: दवाओं के पैकेज और लेबल पर ध्यान से सारी जानकारी पढ़ें। यह सुनिश्चित करें कि दवा के निर्माता और उसकी एक्सपायरी डेट स्पष्ट रूप से अंकित हो। इसके अलावा, किसी भी प्रकार की असमानता या खराब पैकेजिंग को नजरअंदाज न करें।
ऑनलाइन दवाइयां खरीदते वक्त सतर्कता बरतें: यदि आप ऑनलाइन दवाइयां खरीदने का विचार कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप एक विश्वसनीय और प्रमाणित वेबसाइट से ही दवाइयां खरीदें। कुछ वेबसाइट्स पर नकली दवाइयां बेची जाती हैं, इसलिए इनसे बचने के लिए आपको दवा की प्रामाणिकता की जांच करनी चाहिए।