Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 02 Jan, 2025 05:26 PM
खेल रत्न पुरस्कार देश के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, लेकिन इसकी गरिमा बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नियम और प्रक्रियाएं आवश्यक हैं। अगर किसी खिलाड़ी को इसे लौटाना पड़ता है, तो यह एक बड़ी नैतिक चुनौती बन जाती है। साथ ही, ऐसे मामले...
नेशनल डेस्क: भारत में खेल रत्न पुरस्कार देश के सर्वोच्च खेल सम्मान के रूप में जाना जाता है। यह पुरस्कार खिलाड़ियों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए दिया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में यह गौरवपूर्ण सम्मान विवादों में आ जाता है, जिससे खिलाड़ियों को इसे वापस करने की नौबत आती है।
कैसे लौटाया जाता है खेल रत्न पुरस्कार?
खेल रत्न पुरस्कार लौटाने की प्रक्रिया सरकार द्वारा तय की गई है। यदि किसी खिलाड़ी को अपना पुरस्कार वापस करना हो या सरकार द्वारा रद्द किया जाए, तो उसे अपने पदक और प्रमाण पत्र को संबंधित मंत्रालय को सौंपना पड़ता है।
क्यों रद्द हो सकता है पुरस्कार?
डोपिंग, अनुशासनहीनता, या नैतिकता से जुड़ी अन्य गंभीर आरोपों के कारण सरकार किसी भी खिलाड़ी का पुरस्कार रद्द कर सकती है। इसके अतिरिक्त, किसी भी अनियमितता या विवादास्पद गतिविधि के चलते भी पुरस्कार वापस लिए जा सकते हैं। हालांकि, यदि खिलाड़ी अपनी बेगुनाही साबित कर देता है या मामला सुलझ जाता है, तो सरकार इस पुरस्कार को फिर से बहाल कर सकती है।
ऐतिहासिक उदाहरण डी. जयदेव का मामला
साल 2010 में प्रसिद्ध पहलवान डी. जयदेव का नाम उस समय सुर्खियों में आया, जब उन पर डोपिंग का आरोप लगा और उन्हें अपना खेल रत्न पुरस्कार वापस करना पड़ा। हालांकि, बाद में उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी और खुद को निर्दोष साबित किया। इसके बाद सरकार ने उनका पुरस्कार पुनः बहाल कर दिया।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
खेल विश्लेषकों का मानना है कि पुरस्कारों की गरिमा बनाए रखने के लिए यह प्रक्रिया जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि केवल योग्य और ईमानदार खिलाड़ी ही इस सम्मान के हकदार रहें।