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जज पत्नी की शिकायत पर हटाए गए जज को High Court ने किया बहाल, 15 साल बाद पलटा मामला

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 22 Jan, 2025 12:29 PM

husband judge removed on wife s complaint case overturned after 15 years

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम और चौंकाने वाला फैसला सुनाया। कोर्ट ने 15 साल पहले अपनी पत्नी की शिकायत के बाद सेवा से हटाए गए जज पीयूष गखर को बहाल करने का आदेश दिया है। 2009 में उनकी पत्नी जो खुद दिल्ली न्यायिक सेवा में जज थीं ने...

नेशनल डेस्क। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम और चौंकाने वाला फैसला सुनाया। कोर्ट ने 15 साल पहले अपनी पत्नी की शिकायत के बाद सेवा से हटाए गए जज पीयूष गखर को बहाल करने का आदेश दिया है। 2009 में उनकी पत्नी जो खुद दिल्ली न्यायिक सेवा में जज थीं ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद गखर को उनके पद से हटा दिया गया था।

क्या था मामला?

2009 में पीयूष गखर की पत्नी ने उनके खिलाफ शिकायत की थी जिसके बाद एडमिनिस्ट्रेटिव जज ने गखर के आचरण को अनुचित माना और उनकी नैतिकता पर सवाल उठाए। इसके बाद 2010 में हाईकोर्ट के फुल कोर्ट ने उन्हें सेवा से हटा देने की सिफारिश की थी।

गखर ने चुनौती दी थी

पीयूष गखर ने हाईकोर्ट में इस कार्रवाई को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि उन्हें अपनी बात रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया था। 17 जनवरी को दिए गए फैसले में कोर्ट की डिवीजन बेंच ने माना कि गखर को हटाने की प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ। कोर्ट ने यह भी पाया कि गखर को चार्जशीट नहीं दी गई और ना ही उन्हें शिकायत की जानकारी दी गई थी।

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गखर की छवि

कोर्ट ने यह भी देखा कि गखर की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में उन्हें एक अच्छा अधिकारी बताया गया था। 2007-08 और 2008-09 के लिए उनकी रिपोर्ट में उन्हें सराहना मिली थी। जिला जज ने भी उनके काम की तारीफ की थी।

हाईकोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट ने गखर की सेवा बहाल करने का आदेश दिया और उनके वेतन, वरिष्ठता और सेवा निरंतरता को भी बहाल किया। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार चाहे तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है।

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पूरा मामला

गखर ने 2006 में न्यायिक सेवा जॉइन की थी। उनकी शादी उनकी बैचमेट से हुई थी, जो बाद में उनकी पत्नी बनीं। शादी के बाद 2009 में उनकी पत्नी ने गखर के खिलाफ शिकायत की थी। 2012 में दोनों का विवाह रद्द हो गया था।

गखर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव आत्मा राम और अन्य वकीलों ने पैरवी की जबकि हाईकोर्ट और हरियाणा सरकार की ओर से अलग-अलग वकीलों ने अपना पक्ष रखा।

इस फैसले के बाद गखर को फिर से अपनी सेवा में बहाल किया गया है और उनकी नियुक्ति को पुनः मान्यता मिल गई है।

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