Edited By Parminder Kaur,Updated: 29 Dec, 2024 12:11 PM
गुजरात के सूरत में बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद पत्नी पीड़ित पतियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि कानून में महिलाओं को मिले अधिकारों का दुरुपयोग हो रहा है और इससे पुरुषों को परेशान किया जा रहा है।...
नेशनल डेस्क. गुजरात के सूरत में बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद पत्नी पीड़ित पतियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि कानून में महिलाओं को मिले अधिकारों का दुरुपयोग हो रहा है और इससे पुरुषों को परेशान किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी पुरुषों के लिए आयोग बनाने की मांग कर रहे थे ताकि झूठे मुकदमों से परेशान पतियों को न्याय मिल सके।
अतुल सुभाष ने आत्महत्या से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी पर प्रताड़ना और झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया था। अतुल की आत्महत्या के बाद यह मामला चर्चा में आया और इसके साथ ही एक नई बहस भी शुरू हो गई है, जिसमें यह सवाल उठ रहा है कि क्या महिलाओं के अधिकारों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
सूरत में प्रदर्शन
सूरत के अठवां लाइंस सर्कल पर यह प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में प्लेकार्ड्स लेकर महिला अधिकारों के दुरुपयोग पर अपनी चिंता जताई और पुरुषों के लिए एक अलग आयोग बनाने की मांग की। कुछ प्रदर्शनकारियों ने प्लेकार्ड पर लिखा था, "मेन राइट्स आर ह्यूमन राइट्स" (पुरुषों के अधिकार भी मानवाधिकार हैं)। वहीं कुछ ने 2014 से 2022 तक पुरुषों की आत्महत्या के आंकड़े भी साझा किए।
कुछ अन्य प्लेकार्ड्स में यह लिखा था:"फेक केस इज ए क्राइम अगेंस्ट ह्यूमैनिटी" (झूठे मुकदमे मानवता के खिलाफ अपराध हैं)
"सेफ फैमिली सेव नेशन" (सुरक्षित परिवार राष्ट्र को बचाता है)
"Man Not ATM" (पुरुष एटीएम नहीं हैं)
प्रदर्शन करने वाले पतियों का कहना था कि झूठे मुकदमे और फर्जी आरोपों के कारण वे मानसिक और शारीरिक तनाव झेल रहे हैं और उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है।
चिराग भाटिया की बयानबाजी
सूरत के चिराग भाटिया ने भी इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया और कहा- "अतुल सुभाष ने आत्महत्या की, क्योंकि उन्हें झूठे मुकदमे का शिकार बनाया गया था। हम इस मुद्दे पर विरोध कर रहे हैं। अतुल को न्याय मिलना चाहिए और पुरुषों के लिए एक सही कानून बनना चाहिए। कई महिलाएं अपने पतियों के खिलाफ झूठे केस दर्ज करा रही हैं और कोर्ट में यह साबित होने के बाद भी महिलाओं के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती। हमसे सेटलमेंट के नाम पर पैसे मांगे जा रहे हैं, जो अनलीगल एक्स्ट्रोशन है। जेंडर इक्वलिटी के नाम पर पुरुषों से यह वसूली हो रही है। इसके अलावा हमारी पत्नियां बच्चों से मिलने नहीं देतीं, जबकि हम मेंटेनेंस भी दे रहे हैं। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी मानसिक उत्पीड़न का शिकार हुए हैं और इसका कोई न्यायिक समाधान नहीं हो पा रहा है।
पुरुषों के लिए आयोग की मांग
प्रदर्शनकारियों ने एकमत होकर पुरुषों के लिए आयोग बनाने की मांग की, ताकि पुरुषों को झूठे आरोपों से बचाया जा सके और उन्हें न्याय मिल सके। उनका कहना था कि पुरुषों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए एक मंच की जरूरत है। इस प्रदर्शन ने एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है कि क्या महिलाओं के अधिकारों के दुरुपयोग की रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। खासकर ऐसे मामलों में जहां झूठे आरोप और फर्जी मुकदमे पुरुषों को मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान कर रहे हैं।