Edited By Rohini Oberoi,Updated: 16 Mar, 2025 10:22 AM

भारत में हाइपरलूप तकनीक को लेकर काम तेजी से आगे बढ़ रहा है जो देश के परिवहन प्रणाली में एक नई क्रांति ला सकता है। हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत के पहले हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक का निरीक्षण किया। यह ट्रैक करीब 422 मीटर लंबा है और इसमें...
नेशनल डेस्क। भारत में हाइपरलूप तकनीक को लेकर काम तेजी से आगे बढ़ रहा है जो देश के परिवहन प्रणाली में एक नई क्रांति ला सकता है। हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत के पहले हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक का निरीक्षण किया। यह ट्रैक करीब 422 मीटर लंबा है और इसमें ट्रेन 1000 किमी/घंटे की अविश्वसनीय गति से दौड़ सकती है। इस अत्याधुनिक तकनीक को IIT मद्रास के युवा इंजीनियरों की टीम ने डिजाइन किया है।
भविष्य का परिवहन: हाइपरलूप
रेल मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार शिक्षा संस्थानों के साथ मिलकर भविष्य के परिवहन क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा दे रही है। आईआईटी मद्रास में हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक पर काम जारी है जहां ट्रेन को मैग्नेटिक लैविटेशन (चुम्बकीय बल) और वैक्यूम तकनीक के जरिए ट्रैक से ऊपर उड़ाया जाएगा। यदि यह तकनीक सफल हो जाती है तो 300 किमी की दूरी महज 30 मिनट में तय की जा सकेगी।
छात्रों का नवाचार: 1000 किलो की क्षमता वाला पॉड
आईआईटी मद्रास के हाइपरलूप प्रोजेक्ट से जुड़े छात्र सचिन पांडे ने बताया कि वर्तमान में जो पॉड डिजाइन किया जा रहा है उसकी परिवहन क्षमता 1000 किलो है। इसका मतलब यह है कि यह पॉड 11 व्यक्तियों या 1000 किलो वजन के सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकता है। यह प्रणाली भविष्य में परिवहन को तेज़ और अधिक कुशल बनाएगी।
हाइपरलूप तकनीक क्या है?
हाइपरलूप एक क्रांतिकारी परिवहन प्रणाली है जिसमें ट्रेन एक चुंबकीय तकनीक से लैस पॉड पर चलती है। इस तकनीक के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:
➤ ट्यूब का निर्माण: हाइपरलूप के लिए खंभों के ऊपर (एलिवेटेड) पारदर्शी ट्यूब बनाई जाती है।
➤ पॉड की गति: इसके अंदर एक लंबी सिंगल बोगी हवा में तैरते हुए चलती है।
➤ गति और ऊर्जा खपत: इस प्रणाली में घर्षण का अभाव होता है जिससे ट्रेन की गति 1100 से 1200 किमी/घंटे तक पहुंच सकती है। इसके अलावा यह प्रणाली कम ऊर्जा का उपयोग करती है और पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।
हाइपरलूप के संभावित लाभ
➤ तेज़ गति: हाइपरलूप के जरिए दिल्ली से जयपुर की दूरी मात्र 30 मिनट में तय की जा सकेगी।
➤ पर्यावरण अनुकूल: पारंपरिक ट्रेनों के मुकाबले यह कम प्रदूषण फैलाएगी क्योंकि यह बिजली पर आधारित है।
➤ कम ऊर्जा खपत: यह ऊर्जा की खपत कम करेगी जिससे ईंधन की बचत होगी।
➤ सुरक्षित यात्रा: हाइपरलूप वैक्यूम ट्यूब में चलेगा जिससे बाहरी मौसम या दुर्घटनाओं का जोखिम कम होगा।
कहा जा सकता है कि हाइपरलूप तकनीक भारत के परिवहन क्षेत्र में एक नई दिशा दे सकती है। आईआईटी मद्रास के छात्रों द्वारा किया गया यह इनोवेशन भविष्य में परिवहन को और तेज़, सुरक्षित, और पर्यावरण अनुकूल बना सकता है। यह तकनीक भारत के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है जो देश के परिवहन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है।