लेखक अमिताव घोष ‘इरास्मस पुरस्कार' के लिए नामित, कहा- "जलवायु संकट को कर्म और धर्म के नजरिए से देखता हूं"

Edited By Tanuja,Updated: 24 Nov, 2024 12:30 PM

i see climate crisis in terms of karma and dharma amitav ghosh

प्रसिद्ध लेखक अमिताव घोष को जलवायु परिवर्तन संकट के इर्द-गिर्द “अकल्पनीय की कल्पना” विषय पर उनके योगदान के लिए मंगलवार को एम्स्टर्डम के रॉयल पैलेस में एक भव्य समारोह में

London: प्रसिद्ध लेखक अमिताव घोष को जलवायु परिवर्तन संकट के इर्द-गिर्द “अकल्पनीय की कल्पना” विषय पर उनके योगदान के लिए मंगलवार को एम्स्टर्डम के रॉयल पैलेस में एक भव्य समारोह में ‘इरास्मस पुरस्कार' प्रदान किया जाएगा। घोष दक्षिण एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। घोष का जन्म कोलकाता में हुआ था। उन्होंने कहा कि वह एक ऐसे पुरस्कार के लिए चुने जाने पर ‘‘बेहद सम्मानित'' महसूस कर रहे हैं, जिसे दशकों से चार्ली चैपलिन और इगमार बर्गमैन जैसे कलाकारों से लेकर ट्रेवर नोआ तक विभिन्न क्षेत्रों की महान हस्तियों को प्रदान किया गया है। ‘प्रीमियम इरास्मियनम फाउंडेशन' ने इस पुरस्कार के लिए घोष को चुना है।

 

घोष ने अगले सप्ताह नीदरलैंड में होने वाले पुरस्कार समारोह से पहले पीटीआई के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं आशावाद और निराशावाद या आशावाद और निराशा के बीच के इस पूरे द्वैतवाद में बहुत विश्वास नहीं करता। मुझे लगता है कि भारतीय पृष्ठभूमि से होने के नाते मैं इन चीजों के बारे में कर्म और धर्म के संदर्भ में सोचता हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हालात चाहे कैसे भी हों यह हमारा धर्म है कि हम जो भी कर सकते हैं, करें। यह हमारा कर्तव्य है कि हम जो भी कर सकते हैं, करें और उन भयानक व्यवधानों को रोकने की कोशिश करें जो भविष्य में हमारे सामने आने वाले हैं।'' पुस्तक ‘द ग्रेट डिरेंजमेंट: क्लाइमेट चेंज एंड द अनथिंकेबल' के लेखक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र अवसंरचना संधि (UNFCC) के तहत पक्षकारों के साथ मिलकर जिस तरह से काम किया जा रहा है वह बहुत ज्यादा असरदार नहीं है।

 

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    उन्होंने कहा, ‘‘हम देख पा रहे हैं कि किसी प्रकार की कमी लाने या इसे सामूहिक समस्या के तौर पर देखते हुए इससे निपटने के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।'' ऐतिहासिक कथा साहित्य और गैर-कथा साहित्य के लेखक के रूप में घोष इन समस्याओं को ‘‘ऐतिहासिक रूप से उपनिवेशवाद, असमानता और वैश्विक विषमताओं के लंबे इतिहास में निहित मानते हैं।'' ‘इरास्मस पुरस्कार' प्रति वर्ष किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था को दिया जाता है जिसने यूरोप और उसके बाहर मानविकी, सामाजिक विज्ञान या कला के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो। इसमें 1,50,000 यूरो का नकद पुरस्कार दिया जाता है।  

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