राजनीतिक नुकसान सह लूंगा, जातीय जनगणना नहीं छोड़ूंगा, संविधान सम्मान सम्मेलन में बोले राहुल गांधी

Edited By Pardeep,Updated: 25 Aug, 2024 05:44 AM

i will bear political loss will not give up caste census rahul gandhi

राष्ट्रव्यापी जातिगत जनगणना की मांग पर जोर देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि देश के 90 प्रतिशत लोग व्यवस्था से बाहर हैं और उनके हित में कदम उठाये जाने की जरूरत है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘कांग्रेस के लिए जातिगत...

नेशनल डेस्कः राष्ट्रव्यापी जातिगत जनगणना की मांग पर जोर देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि देश के 90 प्रतिशत लोग व्यवस्था से बाहर हैं और उनके हित में कदम उठाये जाने की जरूरत है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘कांग्रेस के लिए जातिगत जनगणना नीति निर्माण की बुनियाद है।” यहां ‘संविधान सम्मान सम्मेलन' को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा, “नब्बे प्रतिशत लोग इस व्यवस्था से बाहर बैठे हुए हैं। उनके पास हुनर और ज्ञान है, लेकिन उनका इस व्यवस्था से कोई जुड़ाव नहीं है। यही वजह है कि हमने जाति जनगणना की मांग उठाई है।” उन्होंने जोर दिया कि समाज के विभिन्न तबकों की भागीदारी सुनिश्चित करने से पहले उनकी संख्या का पता लगाना जरूरी है। 

लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, “कांग्रेस के लिए जाति जनगणना, नीति निर्माण का आधार है। यह नीति निर्माण का उपकरण है। हम बिना जाति जनगणना के भारत की वास्तविकता के बारे में नीतियां नहीं बना सकते।” गांधी ने कहा कि संविधान की तरह जाति जनगणना एक नीतिगत ढांचा और कांग्रेस के लिए मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा, “जिस तरह से हमारा संविधान मार्गदर्शक है और इस पर हर दिन हमला किया जा रहा है, इसी तरह जाति जनगणना, सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण है, एक संस्थागत सर्वेक्षण है और हमारा दूसरा मार्गदर्शक होगा।” 

उन्होंने कहा, “हम आंकड़े चाहते हैं। कितने दलित, ओबीसी, आदिवासी, महिलाएं, अल्पसंख्यक, सामान्य जातियां हैं। हम जाति जनगणना की इस मांग के जरिए संविधान की रक्षा करने का प्रयास कर रहे हैं।” गांधी ने कहा कि संविधान इस देश की आबादी के महज 10 प्रतिशत के लिए नहीं है, यह सभी नागरिकों के लिए है। उन्होंने कहा, “संविधान की सुरक्षा गरीबों, श्रमिकों, आदिवासियों द्वारा की जाती है ना कि (उद्योगपति) अदाणी द्वारा। यदि 90 प्रतिशत लोगों के पास भागीदारी के अधिकार नहीं हैं तो संविधान की रक्षा नहीं की जा सकती।” 

गांधी ने कहा, “हमार लक्ष्य संविधान की रक्षा करना है। यह गरीबों, किसानों और श्रमिकों के लिए एक सुरक्षा कवच है। इसके बगैर, स्थिति का उपयोग वैसे ही किया जाएगा जैसा कि राजाओं और सम्राटों के समय किया जाता था। वे वो सब कुछ करते थे वैसा वे चाहते थे।” पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजाओं, महाराजाओं के मॉडल दो दोहराने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंनें कहा, “आप (मोदी) स्वयं को अलौकिक समझते हैं। आप अपने आप को ईश्वर से जुड़ा हुआ समझते हैं। इस (लोकसभा) चुनाव के बाद आपको संविधान के आगे झुकना पड़ा। यह हमने नहीं, बल्कि लोगों ने किया।” 

गांधी ने कहा कि जो लोग समझते हैं कि जाति जनगणना रोकी जा सकती है या आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा नहीं बढ़ाई जा सकती, वे सपने देख रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह निश्चित तौर पर होगा, यह नहीं रुक सकता। ना तो जाति जनगणना और ना ही आर्थिक सर्वेक्षण या संस्थागत सर्वेक्षण रोका जा सकता है और 50 प्रतिशत की सीमा भी हटेगी। यह सभी होगा” कांग्रेस नेता ने कहा कि इस देश के लोगों ने जाति जनगणना के पक्ष में अपना मन बना लिया है। उन्होंने कहा, “जनादेश आ चुका है। प्रधानमंत्री को इसे स्वीकार करना चाहिए और इसे लागू करना चाहिए। यदि वह ऐसे नहीं करते तो कोई और प्रधानमंत्री बनेगा।” 

केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए गांधी ने कहा कि 2004 में जब से वह राजनीति में आए हैं, तब से उन्हें भाजपा नेताओं द्वारा परेशान किया जाता रहा। उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें (भाजपा नेताओं) को अपना गुरु माना जिन्होंने मुझे सिखाया कि क्या ना करें। यह (भाजपा के साथ) एक विचारधारा की लड़ाई है और यह जारी रहेगी।” 

गांधी ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के उलट मैं अपने काम को अपनी जिम्मेदारी समझकर करता हूं ना कि इसलिए करता हूं कि लोग मुझे याद रखें। यह नरेन्द्र मोदी के काम करने का तरीका है कि उन्हें याद रखा जाए। मेरी सोच है कि इस देश की 90 प्रतिशत ताकत, इस देश को बनाने में उपयोग की जाए।” 

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