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बेटी के जन्म से परिवार था दुखी... आज उसी बेटी ने UPSC परीक्षा पास कर देशभर में बढ़ाया मान

Edited By Anu Malhotra,Updated: 27 Jan, 2025 04:36 PM

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IAS अधिकारी बनने का सपना कई युवा देखते हैं, लेकिन इसे साकार करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। श्वेता अग्रवाल की कहानी इसी संघर्ष, मेहनत और सफलता की मिसाल है। पश्चिम बंगाल के हुगली जिले की रहने वाली श्वेता ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और पक्के इरादों से...

नेशनल डेस्क:  IAS अधिकारी बनने का सपना कई युवा देखते हैं, लेकिन इसे साकार करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। श्वेता अग्रवाल की कहानी इसी संघर्ष, मेहनत और सफलता की मिसाल है। पश्चिम बंगाल के हुगली जिले की रहने वाली श्वेता ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और पक्के इरादों से UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल कर आईएएस बनने का सपना पूरा किया। यह सफर केवल उनकी मेहनत का नहीं, बल्कि उनके पिता के समर्पण और समर्थन का भी जीता-जागता उदाहरण है।

साधारण परिवार की असाधारण बेटी

श्वेता का जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता किराने की दुकान चलाते थे और सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपनी बेटी की शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया। श्वेता के जन्म के समय परिवार थोड़ा निराश था क्योंकि वे बेटे की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन जल्द ही उन्होंने महसूस किया कि उनकी बेटी परिवार का नाम रोशन करेगी।

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श्वेता अपनी पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल थीं। उन्होंने सेंट जोसेफ कॉन्वेंट बंदेल स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और बाद में कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की।

पहली बार में ही UPSC में सफलता

श्वेता ने अपने पिता के सपोर्ट से UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू की। 2013 में उन्होंने पहली बार परीक्षा दी और 497वीं रैंक हासिल की। इस रैंक के आधार पर उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) मिली। लेकिन उनका सपना आईएएस बनने का था, इसलिए उन्होंने प्रयास जारी रखा।

तीसरे प्रयास में बनीं आईएएस अधिकारी

दूसरे प्रयास में उनकी रैंक सुधरकर 141 हो गई, लेकिन आईएएस पद फिर भी नहीं मिला। श्वेता ने हार नहीं मानी और और भी कड़ी मेहनत की। 2016 में, तीसरे प्रयास में, उन्होंने 19वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनने का सपना साकार किया।

परिवार और पिता का योगदान

श्वेता की इस सफलता में उनके पिता की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। एक साधारण दुकानदार होते हुए भी उन्होंने अपनी बेटी की शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया और उसे हर कदम पर प्रोत्साहित किया। यह कहानी हमें सिखाती है कि माता-पिता का समर्थन और बच्चों की लगन, दोनों मिलकर असंभव को भी संभव बना सकते हैं।

श्वेता की कहानी से प्रेरणा

श्वेता अग्रवाल की यह प्रेरणादायक कहानी हमें सिखाती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, लगन और कड़ी मेहनत से किसी भी सपने को पूरा किया जा सकता है। उनका सफर उन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने की कोशिश कर रहे हैं।

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