Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 11 Feb, 2025 12:46 PM
![if decision on cm is not taken by tomorrow then president s rule will be imposed](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_12_46_233698647mani-ll.jpg)
मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य की राजनीति में एक नई हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद अब बीजेपी को नया मुख्यमंत्री चुनने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, अगर बीजेपी 12 फरवरी तक नया मुख्यमंत्री...
नेशनल डेस्क: मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य की राजनीति में एक नई हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद अब बीजेपी को नया मुख्यमंत्री चुनने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, अगर बीजेपी 12 फरवरी तक नया मुख्यमंत्री नहीं चुन पाई, तो मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने की संभावना है। इस स्थिति में मणिपुर की राजनीति में और भी उथल-पुथल हो सकती है। बीजेपी के अंदर मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, लेकिन एक राहत की खबर सामने आई है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने मणिपुर में भाजपा सरकार को अपना समर्थन जारी रखने की घोषणा की है। इससे यह साफ हो गया है कि एनपीपी, जेडीयू जैसे गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर यदि कोई नई सरकार बनती है, तो उसका गठन किया जाएगा। हालांकि, इन सबके बीच राज्य में राष्ट्रपति शासन की भी बात की जा रही है।
बीते सोमवार को मणिपुर भाजपा के प्रभारी, संबित पात्रा ने पार्टी के कुछ विधायकों के साथ बंद कमरे में बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में राज्य के अगले मुख्यमंत्री का चुनाव प्रमुख विषय था। बताया गया कि संबित पात्रा ने उन विधायकों से मुलाकात की जो मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से असंतुष्ट थे। इनमें से कई विधायक मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुख दावेदार भी हो सकते हैं। इनमें विधानसभा अध्यक्ष ठोकचोम सत्यब्रत सिंह और मंत्री युम्नम खेमचंद सिंह के नाम चर्चा में हैं।
मणिपुर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
मणिपुर में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच राज्य की राजधानी और अन्य संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है। जेंथोंग, सिंगजमेई, मोइरांगखोम, केइसमपट और कंगला गेट जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे। यह स्थिति मणिपुर के लिए अत्यंत संवेदनशील बनी हुई है।
कांग्रेस और कुकी-जो संगठन की प्रतिक्रिया
कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे का स्वागत किया है, लेकिन राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के किसी भी प्रयास का विरोध किया है। मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष के. मेघचंद्र ने कहा कि कांग्रेस एक नई सरकार और नए नेता का समर्थन करती है। वहीं, कुकी-जो संगठन के प्रवक्ता ने राष्ट्रपति शासन की मांग की है। उनका कहना है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए, क्योंकि राज्य में कोई बदलाव नहीं हो सकेगा यदि नया मुख्यमंत्री आ जाता है।
क्या है 12 फरवरी की अहमियत?
बीजेपी को 12 फरवरी तक नया मुख्यमंत्री तय करना है, क्योंकि यदि यह तय नहीं हो पाता, तो विधानसभा को भंग कर दिया जाएगा। मणिपुर में विधानसभा सत्र 12 अगस्त 2024 को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। ऐसे में अगर 12 फरवरी तक नया मुख्यमंत्री नहीं चुना गया और विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया गया, तो यह स्थिति राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए उपयुक्त बन सकती है।
एन बीरेन सिंह का इस्तीफा क्यों हुआ?
मणिपुर में जातीय संघर्ष की शुरुआत 3 मई, 2023 को हुई थी, जिससे राज्य में हिंसा और अस्थिरता का माहौल बना। इस संघर्ष में 200 से अधिक लोग मारे गए थे। इस हिंसा के लिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को जिम्मेदार ठहराया गया। कुकी-जो समुदाय के नेताओं ने उन्हें दबाव में लाकर इस्तीफा देने को मजबूर किया। उनके खिलाफ असंतोष बढ़ता गया, और अंततः मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया। बीजेपी के कई विधायक भी उनके खिलाफ थे, और अक्टूबर 2024 में पीएमओ से मुख्यमंत्री बदलने की मांग की गई थी।