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जुलाई में तबाही के संकेत, भारत ने सिंधु का पानी रोका तो पाकिस्‍तान करेगा परमाणु बम का इस्‍तेमाल!

Edited By Anu Malhotra,Updated: 26 Apr, 2025 09:06 AM

if india stops the water of indus then pakistan will use nuclear bomb

भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के निर्णय ने पाकिस्तान को हिला कर रख दिया है। पाकिस्तान के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत ने सिंधु नदी के पानी को रोकने या मोड़ने की कोशिश की, तो पाकिस्तान अपनी पूरी सैन्य शक्ति का इस्तेमाल कर सकता है,...

नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐसा कदम उठाया है, जिसकी गूंज सिर्फ कश्मीर घाटी में नहीं बल्कि इस्लामाबाद की सत्ता तक सुनाई दी है। भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को लेकर बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए इसे "स्थगित" कर दिया है। यह वही समझौता है, जो 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था और दशकों तक इसे दोनों देशों ने निभाया, चाहे हालात युद्ध जैसे क्यों न रहे हों। 

भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के निर्णय ने पाकिस्तान को हिला कर रख दिया है। पाकिस्तान के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत ने सिंधु नदी के पानी को रोकने या मोड़ने की कोशिश की, तो पाकिस्तान अपनी पूरी सैन्य शक्ति का इस्तेमाल कर सकता है, जिसमें परमाणु हथियारों का उपयोग भी शामिल हो सकता है। इस कदम को पाकिस्तान ने 'युद्ध की कार्रवाई' करार दिया है और चेतावनी दी है कि अगर जल आपूर्ति पर कोई भी खतरा मंडराया, तो इस्लामाबाद तुरंत प्रतिक्रिया देगा। जुलाई से इस संकट का असर दिख सकता है, और यह कदम पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था और पानी की आपूर्ति के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।

पाकिस्तान में खाद्य संकट के हालात भी पैदा हो सकते
इस फैसले ने पाकिस्तान की चिंता को चरम पर पहुंचा दिया है। सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी पश्चिमी नदियों से अधिकतर पानी मिलता है। यही पानी पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था की रीढ़ है। भारत के इस फैसले से उसे डर है कि अब उसकी खेतों को सींचने वाली धाराएं सूख सकती हैं। पाकिस्तान का एक बड़ा हिस्सा, खासकर पंजाब और सिंध प्रांत, इन नदियों पर पूरी तरह निर्भर है। यदि भारत जल प्रवाह को सीमित करता है या मोड़ता है, तो पाकिस्तान में खाद्य संकट के हालात भी पैदा हो सकते हैं।

पाकिस्तान ने 'युद्ध की कार्रवाई' करार दिया
भारत के इस फैसले को पाकिस्तान ने 'युद्ध की कार्रवाई' करार दिया है। पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने गुरुवार को बयान जारी कर साफ कर दिया कि वह भारत की किसी भी जल-सम्बंधी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा। इस बयान में 'संपूर्ण युद्ध शक्ति' और 'हर विकल्प खुले हैं' जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया, जिससे तनाव और अधिक बढ़ गया है। पाकिस्तानी मीडिया और रक्षा विशेषज्ञों ने यहां तक कह दिया कि अगर भारत ने डैम बनाना शुरू किया या जल को रोकने की कोई कोशिश की, तो पाकिस्तान सैन्य कार्रवाई कर सकता है। कुछ विश्लेषकों ने तो यहां तक चेतावनी दी कि जरूरत पड़ने पर परमाणु हथियारों के विकल्प भी खुले रहेंगे।

हालात और बदतर हो सकते
भारत के इस कदम से पाकिस्तान में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका भी जताई जा रही है। भारत हर साल मानसून से पहले पाकिस्तान को बाढ़ संबंधी आंकड़े उपलब्ध कराता रहा है। अगर भारत यह डेटा शेयर करना बंद करता है, तो पाकिस्तान बिना किसी पूर्व चेतावनी के प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ सकता है। तीन साल पहले आई भीषण बाढ़ में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही बुरी तरह लड़खड़ा चुकी है। अब यदि भविष्य में बाढ़ की जानकारी समय पर नहीं मिली, तो हालात और बदतर हो सकते हैं।

भारत के इस निर्णय को लेकर राजनीतिक गलियारों में यह बात सामने आ रही है कि यह फैसला सिर्फ एक जल समझौते को लेकर नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ भारत की नई नीति का प्रतीक है। पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवादी संगठनों को शरण देने के आरोपों से घिरा रहा है और बार-बार चेतावनी के बावजूद आतंकी हमलों में शामिल रहा है। अब भारत ने सीधे उसकी जीवनरेखा - पानी - को निशाना बना दिया है।

भारत एकतरफा इस संधि को रद्द नहीं कर सकता
पाकिस्तान के पूर्व सिंधु जल आयुक्त जमात अली शाह ने एक पाकिस्तानी अखबार को दिए बयान में कहा है कि भारत एकतरफा इस संधि को रद्द नहीं कर सकता, क्योंकि यह एक स्थायी समझौता है और इसके लिए दोनों देशों की सहमति आवश्यक है। हालांकि भारतीय अधिकारियों का तर्क है कि भारत ने इसे पूरी तरह रद्द नहीं किया, बल्कि "स्थगित" किया है — यानी जब तक पाकिस्तान अपनी आतंक-समर्थन की नीति नहीं बदलता, तब तक सहयोग की कोई गुंजाइश नहीं है।

भारत ने संकेत दिए हैं कि यह स्थगन पश्चिमी नदियों पर चल रही भारत की जल परियोजनाओं को तेज़ी देने के लिए भी रास्ता खोलता है। पाकल दुल, रतले, किरू और सावलकोट जैसे डैम और पनबिजली प्रोजेक्ट्स अब प्राथमिकता के साथ पूरे किए जा सकते हैं, जिससे पाकिस्तान को भविष्य में पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।

भारत का ये कदम सिर्फ पाकिस्तान को एक स्पष्ट और कड़ा संदेश देने के लिए नहीं है, बल्कि यह दुनिया को यह दिखाने का भी प्रयास है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अब सिर्फ सीमा पर नहीं, आर्थिक और पर्यावरणीय मोर्चों पर भी लड़ी जाएगी। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान इस संकट से कैसे निपटता है - बात कूटनीति तक सीमित रहती है या फिर यह पानी से जुड़ी सबसे बड़ी भू-राजनीतिक टकराव में बदल जाती है।

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