Edited By Parveen Kumar,Updated: 02 Apr, 2025 11:38 PM
आज दुनिया के कई देश चांद पर पहुंचने की होड़ में लगे हैं। अमेरिका, रूस, चीन और भारत ने चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की है। भारत इस सूची में चौथे स्थान पर जरूर है, लेकिन अगर भारत न होता, तो शायद ये बाकी देश भी चांद तक नहीं पहुंच पाते।
नेशनल डेस्क : आज दुनिया के कई देश चांद पर पहुंचने की होड़ में लगे हैं। अमेरिका, रूस, चीन और भारत ने चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की है। भारत इस सूची में चौथे स्थान पर जरूर है, लेकिन अगर भारत न होता, तो शायद ये बाकी देश भी चांद तक नहीं पहुंच पाते।
ये सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह एक सच्चाई है जिसे पूरी दुनिया मानती है। इसकी वजह भारत के महान गणितज्ञ आर्यभट्ट की वह खोज है, जिसने अंतरिक्ष विज्ञान को एक नई दिशा दी— दशमलव प्रणाली। दशमलव के बिना अंतरिक्ष की सटीक गणना संभव नहीं होती, और इसी की मदद से वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष अभियानों को सफल बनाया।
स्पेस विज्ञान में दशमलव का महत्व
सटीक गणना: अंतरिक्ष अभियानों में ग्रहों की स्थिति, रॉकेट की गति, लैंडिंग साइट और ईंधन की मात्रा की सटीक गणना जरूरी होती है। एक छोटी सी गलती भी पूरे मिशन को असफल कर सकती है।
नेविगेशन और कक्षा निर्धारण: किसी भी स्पेसक्राफ्ट की दिशा और गति तय करने के लिए न्यूटन और कैपलर के नियमों का उपयोग होता है, जिसमें दशमलव बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
समय की गणना: अंतरिक्ष में समय की गणना नैनो सेकंड (0.000000001 सेकंड) में की जाती है। ट्रांसमिशन से लेकर डेटा प्रोसेसिंग तक, हर जगह दशमलव का इस्तेमाल होता है।
रॉकेट साइंस और फ्यूल कैल्कुलेशन: रॉकेट को सही समय पर लॉन्च करने और उसका सही मार्ग तय करने में भी दशमलव की अहम भूमिका होती है।
डेटा प्रोसेसिंग और इमेज एनालिसिस: स्पेस टेलीस्कोप और सैटेलाइट्स से ली गई तस्वीरों का विश्लेषण भी दशमलव की मदद से किया जाता है, जिससे वैज्ञानिक सही नतीजों तक पहुंचते हैं।
आर्यभट्ट: भारत के महान गणितज्ञ
आर्यभट्ट ने गणित की दुनिया में बड़ी खोजें कीं, जिनमें दशमलव प्रणाली और शून्य का सिद्धांत प्रमुख हैं। उन्होंने संख्याओं को लिखने का तरीका विकसित किया, जिसने पूरी दुनिया में गणना को आसान बना दिया। उनके योगदान के बिना, आज की आधुनिक अंतरिक्ष खोजें संभव नहीं होतीं।