Edited By rajesh kumar,Updated: 24 Nov, 2024 04:50 PM
पटना में जमीअत उलमा-ए-हिन्द द्वारा आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में मौलाना अरशद मदनी ने देश की आज़ादी में मुसलमानों के अहम योगदान को उजागर किया। उन्होंने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिन्द ने हमेशा प्यार और मोहम्मद के लिए कुर्बानी दी है और देश में अमन-चैन के लिए काम...
नेशनल डेस्क: पटना में जमीअत उलमा-ए-हिन्द द्वारा आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में मौलाना अरशद मदनी ने देश की आज़ादी में मुसलमानों के अहम योगदान को उजागर किया। उन्होंने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिन्द ने हमेशा प्यार और मोहम्मद के लिए कुर्बानी दी है और देश में अमन-चैन के लिए काम किया है। उन्होंने यह भी बताया कि हमारे बुजुर्गों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर इस देश को स्वतंत्र कराया और हमारे ही प्रयासों से देश का संविधान बना।
मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि जिन लोगों को लगता है कि भारत का संविधान केवल हिन्दुओं ने बनाया है, उन्हें देश के इतिहास की सही जानकारी नहीं है। उनका कहना था कि जमीअत उलमा-ए-हिन्द का देश के साथ 145 साल पुराना इतिहास है, और कोई भी इसे नकार नहीं सकता। भारत की आज़ादी के बारे में बात करते हुए मौलाना मदनी ने कहा, "हमने आज़ादी की लड़ाई तब लड़ी, जब कांग्रेस का गठन भी नहीं हुआ था। कांग्रेस का मकसद देश की स्वतंत्रता नहीं था, बल्कि वह ब्रिटिश हुकूमत और भारतीय जनता के बीच तालमेल बनाने के लिए बनी थी।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वक्फ के बारे में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि अगर मोदी जी वक्फ को नहीं मानते तो वह आगे चलकर नमाज और अन्य धार्मिक रीति-रिवाजों को भी नकार सकते हैं। उन्होंने इस बयान पर आश्चर्य जताया और कहा कि जो अल्लाह और रसूल ने बताया है, वही सही है। मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि जब प्रधानमंत्री ऐसी बातें करते हैं, तो यह देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत पैदा कर सकता है। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और अन्य नेताओं के बयान पर भी आलोचना की।
बुलडोज़र जस्टिस के मुद्दे पर भी मौलाना मदनी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यदि कोई गलत करता है तो उसकी सजा केवल उसी तक सीमित रहनी चाहिए, न कि उसके पूरे परिवार को सजा देना उचित है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी उन्होंने अपनी बात रखी और कहा कि हम बार-बार कोर्ट गए और हमें न्याय मिला। मौलाना मदनी ने अंत में कहा कि भारत में बहुत से लोग हैं जो हिंदू-मुसलमान से ऊपर उठकर सोचते हैं और हमें अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।