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RG Kar rape and murder case: ममता बनर्जी ने न्याय में देरी को लेकर जताई नाराजगी कहा- मामला हमारे पास होता तो जल्दी होता न्याय

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 20 Jan, 2025 04:43 PM

if the case was with us justice would have been done quickly mamata banerjee

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए भयावह बलात्कार और हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यदि यह मामला उनके पास होता, तो दोषी को बहुत पहले मौत की सजा दिलवायी जाती। इस घटना में...

नेशनल डेस्क: आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए भयावह बलात्कार और हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यदि यह मामला उनके पास होता तो दोषी को बहुत पहले मौत की सजा दिलवायी जाती। इस घटना में दोषी पाए गए संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी इस मामले में शुरू से ही मौत की सजा की मांग कर रही थी लेकिन मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया, जिससे उन्हें संतुष्टि नहीं है।

ममता ने उठाई चिंता, न्याय में देरी को लेकर जताई नाराजगी
ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार ने इस केस में शुरू से ही दोषी को मौत की सजा दिलवाने की पूरी कोशिश की थी। हालांकि यह मामला सीबीआई को सौंपे जाने के बाद ही अदालत ने संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। ममता ने कहा, "हमने 60 दिनों में तीन मामलों में मौत की सजा सुनिश्चित की थी। यदि यह मामला हमारे पास रहता, तो हम पहले ही सजा दिलवा चुके होते।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें दुख है कि यह मामला राज्य सरकार से छीन लिया गया।

माँ-बाप ने नहीं लिया मुआवजा, केवल न्याय की मांग की
यह मामला तब और अधिक संवेदनशील हो गया जब पीड़िता के माता-पिता ने न्याय की बजाय मुआवजे को ठुकरा दिया। कोलकाता की अदालत ने इस मामले में राज्य को पीड़िता के माता-पिता को 17 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का आदेश दिया। हालांकि पीड़िता के माता-पिता ने यह मुआवजा स्वीकार करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें मुआवजे की नहीं न्याय की आवश्यकता है। अदालत ने उन्हें कानून के अनुसार सहायता देने की बात की लेकिन साथ ही उन्हें यह भी समझाया कि यह मुआवजा नहीं है बल्कि कानूनी अधिकार है।

पीड़िता के माता-पिता का विश्वास, अपराधी अकेले रॉय नहीं था
पारिवारिक सदस्यों के अनुसार, यह मामला केवल एक व्यक्ति, संजय रॉय का नहीं है। वे मानते हैं कि इस हत्या और बलात्कार में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, जिनका नाम सामने नहीं आ सका। यह बात अब भी समाज में चर्चा का विषय बनी हुई है, और लोग इस मामले में और अधिक दोषियों को सामने लाने की मांग कर रहे हैं। इस बीच चिकित्सक समुदाय भी इस घटना के बाद विरोध कर रहा है, जिसमें राज्य सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वह सत्तारूढ़ पार्टी के करीबी लोगों को बचाने की कोशिश कर रही थी। हालांकि ममता बनर्जी ने इन आरोपों को नकारा और कहा कि उनका एकमात्र उद्देश्य पीड़िता के लिए न्याय प्राप्त करना था।

सीबीआई की जांच क्या कहती है?
9 अगस्त को हुए इस अमानवीय अपराध के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। इसके बाद, राष्ट्रीय स्तर पर इस अपराध के खिलाफ आवाज उठाई गई। विरोध करने वाले डॉक्टरों और नागरिकों का मानना था कि राज्य सरकार ने इस मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन सीबीआई की जांच के बाद मामले में और स्पष्टता आई।


अदालत ने संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, लेकिन पीड़िता के परिवार और समाज का मानना है कि यह मामला अभी भी न्याय से पूरी तरह नहीं जुड़ा है। वे चाहते हैं कि इस अपराध का पूरा सच सामने आए और सभी दोषियों को सजा मिले।

 

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