Edited By Mahima,Updated: 27 Jan, 2025 01:52 PM
महाकुंभ में 'IIT बाबा' के नाम से प्रसिद्ध अभय सिंह ने कहा कि उन्हें इस टैग से कोई जुड़ाव नहीं है। वे पॉपुलैरिटी के बजाय अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि वह IIT से अपनी पहचान हटाकर शांति से साधना करना चाहते...
नेशनल डेस्क: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला हमेशा ही अपने विभिन्न पहलुओं के लिए सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस बार महाकुंभ में एक और चेहरा चर्चा का विषय बना हुआ है— 'IIT बाबा' के नाम से प्रसिद्ध अभय सिंह। उनका एक वायरल वीडियो, जिसमें वे भावुक होकर रोते हुए नजर आ रहे हैं, ने सभी का ध्यान खींचा। इस वीडियो में अभय सिंह ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें 'IIT बाबा' के नाम से पहचाने जाने की कोई चाहत नहीं है।
अभय सिंह का कहना है कि वह 'IIT बाबा' का टैग हटाना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने जो संसारिक मोह-माया छोड़ी थी, अब वही लोग उनके साथ जोड़ रहे हैं। उनका कहना था, "मैंने जो रास्ता चुना था, वह दिखावे से दूर था। अब लोग मुझे IIT से जोड़कर एक नई पहचान दे रहे हैं, जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। मैं चाहتا हूं कि यह कहानी अब खत्म होनी चाहिए।" इस वीडियो में अभय सिंह ने अपनी बातों को रुंधे गले और आंसुओं के साथ कहा कि वे कभी भी अपनी शिक्षा और पॉपुलैरिटी को दिखावा नहीं मानते थे। उन्होंने बताया कि उनके परिवार के लोग कहते थे कि उनका बेटा IIT से है, लेकिन वह कभी इसका जिक्र नहीं करते थे। उनकी मान्यता थी कि असल जीवन में संतुष्टि और शांति किसी भी दिखावे से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती है।
अभय सिंह ने इस बारे में और विस्तार से बताते हुए कहा, "जब मैं पहले प्रयागराज आता था, तो कोई मुझे नहीं पहचानता था। मैं जहाँ भी बैठता था, खुलकर लोगों से बातें करता था, खाता-पीता था, लेकिन तब मुझे किसी का ध्यान नहीं आता था। अब यह सब बदल चुका है। अब पॉपुलैरिटी मेरे लिए एक बोझ बन गई है।" वे अब सिर्फ अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाना चाहते हैं, बिना किसी बाहरी ध्यान के। उन्होंने कहा, "मैं शांति से अपनी साधना करना चाहता हूं, बिना किसी की नजरों में आए। बस यही मेरी इच्छा है।"
अभय सिंह की कहानी बहुत दिलचस्प है। उन्होंने IIT मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी, इसके बाद उन्होंने कनाडा में एक अच्छी जॉब भी की। लेकिन फिर उन्होंने दुनिया की सारी सुख-सुविधाएं छोड़कर साधु-संतों के बीच जीवन व्यतीत करना शुरू किया। कुछ समय पहले तक वह एक अखाड़े में रह रहे थे, लेकिन अब वे अकेले अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर निकल पड़े हैं। अभय सिंह के जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने अपने सांसारिक जीवन को त्यागने और वैराग्य की राह चुनने का निर्णय लिया। इसके बाद, वह महाकुंभ में साधना करने के लिए आए, और अब वह चाहते हैं कि उनकी पहचान सिर्फ उनके आध्यात्मिक जीवन से जुड़ी हो, न कि IIT से। उनका मानना है कि पूर्णता की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को सांसारिक मोह-माया और जिम्मेदारियों से मुक्त होना जरूरी है।