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कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर कम आय और सोशल मीडिया का असर, रिपोर्ट में खुलासा

Edited By Rahul Rana,Updated: 18 Dec, 2024 11:08 AM

impact of low income and social media on mental health of employees

हालिया सर्वेक्षणों और अध्ययनों के अनुसार कार्यस्थलों पर बिगड़ता मानसिक स्वास्थ्य एक महामारी के रूप में उभर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार कर्मचारियों के अवसाद और चिंता के कारण हर साल लगभग 12 अरब कार्य...

नेशनल डेस्क। हालिया सर्वेक्षणों और अध्ययनों के अनुसार कार्यस्थलों पर बिगड़ता मानसिक स्वास्थ्य एक महामारी के रूप में उभर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार कर्मचारियों के अवसाद और चिंता के कारण हर साल लगभग 12 अरब कार्य दिवस नष्ट हो जाते हैं जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को सालाना एक ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हो रहा है।

ब्रिटेन में डिलॉयट कंपनी द्वारा किए गए एक ताजा अध्ययन के अनुसार वित्तीय क्षेत्र के कर्मी इस मानसिक स्वास्थ्य संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। वहीं ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वेलबीइंग रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार 10 देशों में किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि दुनिया में 78% कामकाजी लोग काम के दौरान खुद को बेहतर मानसिक स्थिति में नहीं पाते हैं।

हालांकि राहत की बात यह है कि भारत को कर्मियों की समग्र सेहत को बेहतर बनाने वाले कारकों पर सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों में स्थान मिला है। अध्ययन में काम का दबाव जीवन निर्वाह की बढ़ती लागत और सोशल मीडिया के अधिक उपयोग को इसके कारणों के रूप में बताया गया है।

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव और कंपनियों का मुनाफा

एक और अध्ययन जो बहुराष्ट्रीय कंसल्टेंसी फर्म 'माइंड फोरवर्ड एलायंस' द्वारा 12 देशों में किया गया यह दर्शाता है कि हर दूसरा कर्मचारी मानसिक सेहत की चुनौतियों से जूझ रहा है। 2020 के बाद से इसमें लगातार वृद्धि देखी जा रही है।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन में यह पाया गया कि कर्मचारियों की समग्र सेहत में सुधार से कंपनियों के प्रदर्शन में भी सुधार आता है और उनका मुनाफा बढ़ता है। इस अध्ययन में 1782 अमेरिकी कंपनियों के 10 लाख कर्मचारियों के जवाबों का विश्लेषण किया गया।

युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य संकट

ब्रिटेन में यार्क विश्वविद्यालय की महामारी विज्ञान की प्रोफेसर केट पिकेट के अनुसार मानसिक बीमारियों में हो रही इस व्यापक वृद्धि का कारण सिर्फ रिपोर्ट किए गए मामले नहीं हैं बल्कि यह समस्या खासकर युवा कर्मचारियों में और भी गंभीर हो रही है। प्रोफेसर पिकेट ने इसे चिंता का विषय बताया क्योंकि युवा वर्ग इस मानसिक स्वास्थ्य संकट से विशेष रूप से प्रभावित हो रहा है।

इस तरह के अध्ययन और सर्वेक्षण बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के संकट को हल करना अब केवल एक व्यक्तिगत समस्या नहीं बल्कि यह एक वैश्विक चुनौती बन चुकी है जो कार्यस्थलों और कंपनियों के लिए भी चिंताजनक है।

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