Edited By Rahul Rana,Updated: 22 Nov, 2024 02:10 PM
भारत में मंदी का असर देखने को मिल रहा है। भारतीय इकोनॉमी इस समय दो वर्गों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में इस समय दो वर्गों के बीच बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है। एक तरफ मिडिल क्लास और लोअर क्लास अपने खर्चों में कटौती कर रहे हैं और...
नॅशनल डेस्क। भारत में मंदी का असर देखने को मिल रहा है। भारतीय इकोनॉमी इस समय दो वर्गों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में इस समय दो वर्गों के बीच बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है। एक तरफ मिडिल क्लास और लोअर क्लास अपने खर्चों में कटौती कर रहे हैं और पैसे बचाने पर जोर दे रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उच्च आय वर्ग के लोग लग्जरी, रियल एस्टेट और निजी सेवाओं पर बड़े पैमाने पर खर्च कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था, बल्कि उन कंपनियों के लिए भी चुनौती बन गई है जो मिडिल और लोअर क्लास को टारगेट करती हैं। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
कंपनियों की बिक्री पर मंदी का असर
ग्रामीण और शहरी बाजारों में गिरावट:
मारुति सुजुकी:
: देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी ने अपनी बिक्री में गिरावट को स्वीकार किया है। मांग को बढ़ाने के लिए कंपनी ने ग्रामीण बाजारों में बड़े डिस्काउंट देने की योजना बनाई है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर और ब्रिटानिया:
- छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में बिक्री अपेक्षाकृत बेहतर है, लेकिन मेट्रो शहरों में ग्रोथ धीमी है।
- ब्रिटानिया ने बताया कि मेट्रो शहरों में उपभोक्ता मांग में गिरावट सबसे अधिक है।
डिस्काउंट ऑफर्स और नई रणनीतियां:
मारुति सुजुकी और अन्य कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स की बिक्री बढ़ाने के लिए नई मार्केटिंग रणनीतियां और डिस्काउंट ऑफर्स पेश कर रही हैं।
अमीर वर्ग पर मंदी का असर क्यों नहीं?
लग्जरी और प्रीमियम खर्च:
- रियल एस्टेट:
एक्सिस कैपिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में बेचे गए प्रॉपर्टी प्रोजेक्ट्स में से 33% से ज्यादा की कीमत 12 करोड़ रुपए से अधिक है। यह पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है।
- शादी का बड़ा बाजार:
: व्यापारिक रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल शादी के सीजन में 16 लाख करोड़ रुपए का कारोबार होने की उम्मीद है।
: गहने, कपड़े, और शादी के भव्य आयोजन पर खर्च लगातार बढ़ रहा है।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च:
हाई-एंड स्कूलों की मांग:
टियर-II और टियर-III शहरों में 7 लाख रुपए सालाना से अधिक फीस वाले अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त स्कूलों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
स्वास्थ्य सेवाएं:
- प्राइवेट हेल्थकेयर और स्वास्थ्य बीमा पर खर्च तेजी से बढ़ रहा है।
- 2021 में मेडिकल इंफ्लेशन 14% तक पहुंच गया था, और बीमा प्रीमियम में 10-15% की वृद्धि देखी गई है।
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
मंदी का संकेत या कुछ और?
महंगाई और आय में ठहराव:
- विशेषज्ञों का मानना है कि मिडिल और लोअर क्लास की खर्च में कटौती मुख्य रूप से बढ़ती महंगाई और आय में ठहराव के कारण हो रही है।
उच्च वर्ग की मजबूती:
- अमीर वर्ग द्वारा बढ़ता खर्च यह दिखाता है कि अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्से अभी भी मजबूत हैं।
समस्या का समाधान:
- कंपनियों और सरकार को ऐसी नीतियां बनानी होंगी जो मिडिल और लोअर क्लास की आय और खर्च करने की क्षमता को बढ़ा सकें।
- रोजगार के अवसर और महंगाई पर नियंत्रण इस समस्या को हल करने में मददगार हो सकते हैं।
अंत में बता दें कि भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ती असमानता से स्पष्ट है कि मिडिल और लोअर क्लास की खर्च करने की क्षमता कम हो रही है, जबकि उच्च वर्ग अधिक खर्च कर रहा है। यदि यह असमानता बनी रही, तो इसका देश की विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मंदी की स्थिति से बचने के लिए संतुलित नीतियों और सुधारों की जरूरत है।