Edited By Rahul Rana,Updated: 15 Dec, 2024 04:14 PM
भारतीय शेयर बाजारों में दिसंबर के पहले दो हफ्तों में विदेशी निवेशकों (एफपीआई) का बड़ा निवेश देखने को मिला है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के कारण एफपीआई ने इस दौरान 22,766 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है जिससे...
नेशनल डेस्क। भारतीय शेयर बाजारों में दिसंबर के पहले दो हफ्तों में विदेशी निवेशकों (एफपीआई) का बड़ा निवेश देखने को मिला है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के कारण एफपीआई ने इस दौरान 22,766 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है जिससे भारतीय शेयर बाजार में सकारात्मक रुझान देखने को मिला है।
पिछले महीनों में FPI की निकासी
यह निवेश भारतीय बाजार में पिछले कुछ महीनों में हुई भारी निकासी के बाद हुआ है। नवंबर में एफपीआई ने 21,612 करोड़ रुपये की निकासी की थी जबकि अक्टूबर में यह निकासी 94,017 करोड़ रुपये की थी जो अब तक की सबसे बड़ी मासिक निकासी रही थी।
सितंबर में एफपीआई का निवेश 57,724 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था जो नौ महीने का सबसे ऊंचा स्तर था। इसका मतलब यह है कि विदेशी निवेश के प्रवाह में काफी उतार-चढ़ाव रहा है।
2024 में FPI निवेश
2024 में अब तक एफपीआई ने कुल 7,747 करोड़ रुपये का निवेश किया है जो भारतीय बाजार में निवेशकों का विश्वास बढ़ाने वाला संकेत है।
विदेशी निवेश के प्रवाह पर असर डालने वाले प्रमुख कारण
भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेश का प्रवाह कई प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगा। इनमें अमेरिकी नीतियां, मौजूदा मुद्रास्फीति और ब्याज दरों का माहौल और भू-राजनीतिक बदलाव प्रमुख हैं।
इसके अलावा भारतीय कंपनियों की तीसरी तिमाही के आय परिणाम और देश की आर्थिक प्रगति भी निवेशक भावना को प्रभावित करेंगे जिससे विदेशी निवेश में और बढ़ोतरी हो सकती है।
वैश्विक तरलता में सुधार
वैश्विक तरलता में सुधार के कारण उभरते बाजारों जैसे भारत में पूंजी का प्रवाह बढ़ा है। अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तरलता बढ़ाने के उपायों ने इस प्रवाह को मजबूत किया है। आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को कम किया जिससे बाजार में अधिक तरलता आई और निवेशकों की धारणा बेहतर हुई।
भारतीय मुद्रास्फीति में गिरावट
भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत से घटकर नवंबर में 5.48 प्रतिशत हो गई जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा और आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति में ढील दिए जाने की उम्मीदें बढ़ीं।
एफपीआई का भविष्य
हालांकि दिसंबर में एफपीआई ने खरीदी की है कुछ दिनों में वे फिर से विक्रेता भी बन सकते हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा कि भारतीय शेयर बाजारों का मूल्यांकन अन्य देशों की तुलना में अभी भी अधिक है जिससे विदेशी निवेशक उच्च स्तरों पर बिकवाली कर सकते हैं।
वहीं डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति भी एक चिंता का विषय है क्योंकि यह एफपीआई को उच्च स्तरों पर बेचने के लिए प्रेरित कर सकता है।
डेट मार्केट में FPI का निवेश
इस दौरान एफपीआई ने डेट जनरल लिमिट में 4,814 करोड़ रुपये का निवेश किया और डेट स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (VRR) से 666 करोड़ रुपये निकाले। इस साल अब तक एफपीआई ने डेट मार्केट में 1.1 ट्रिलियन रुपये का निवेश किया है।