Edited By rajesh kumar,Updated: 17 Jan, 2025 08:49 PM
उच्चतम न्यायालय ने बढ़ते वायु प्रदूषण को एक ‘‘गंभीर'' समस्या बताते हुए शुक्रवार को कहा कि इससे निपटने के लिए जो उपाय आवश्यक हैं, वे भी ‘‘सख्त''होने चाहिए। अदालत ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों से कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के...
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बढ़ते वायु प्रदूषण को एक ‘‘गंभीर'' समस्या बताते हुए शुक्रवार को कहा कि इससे निपटने के लिए जो उपाय आवश्यक हैं, वे भी ‘‘सख्त''होने चाहिए। अदालत ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों से कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अंतर्गत आने वाले अपने क्षेत्रों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएं। न्यायमूर्ति ए. एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस तथ्य पर गौर किया कि दिल्ली की तरह राजस्थान सरकार ने भी राज्य के एनसीआर क्षेत्रों में पटाखों की बिक्री और जलाने पर स्थायी और पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
पीठ ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा से भी ऐसा ही करने को कहा है। इसने कहा कि जब तक ये दोनों राज्य आदेश पारित नहीं कर देते, तब तक पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का उसका पूर्व निर्देश मामले की अगली सुनवाई की तारीख 24 मार्च तक बढ़ाया जायेगा। पीठ ने कहा, ‘‘पर्यावरणीय समस्याएं विकट हैं, इसलिए कठोर उपायों की आवश्यकता है।'' साथ ही पीठ ने कहा कि अदालत को कार्रवाई करनी होगी और सख्त आदेश पारित करने होंगे, क्योंकि सरकार के अन्य अंग इसकी परवाह नहीं कर रहे हैं।
इसने कहा कि वह अगली तारीख पर पटाखों के निर्माण और बिक्री में शामिल कंपनियों पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी। जब एक वकील ने अदालत से पूर्ण प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया तो पीठ ने कहा कि पर्यावरणीय समस्याएं उनके मुद्दों से पहले आती हैं। इसके बाद वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि कम से कम हरित पटाखों की अनुमति दी जाए। पीठ ने कहा, ‘‘हमें इस बात की पड़ताल करनी होगी कि हरित पटाखे कितने हरित हैं।'' इसने केंद्र से पटाखा निर्माता कंपनियों की याचिकाओं पर भी जवाब देने को कहा।
इससे पहले भी अदालत ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों को अगले आदेश तक पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने तत्काल प्रभाव से पूरे वर्ष ‘ऑनलाइन मार्केटिंग' के माध्यम से पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। पीठ ने कहा था, ‘‘हमारा मानना है कि यह प्रतिबंध तभी प्रभावी होगा जब एनसीआर का हिस्सा बनने वाले अन्य राज्य भी इसी तरह के उपाय लागू करेंगे।
यहां तक कि राजस्थान राज्य ने भी अपने उस हिस्से में इसी प्रकार का प्रतिबंध लगाया है जो एनसीआर में आता है। फिलहाल, हम उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्यों को भी दिल्ली द्वारा लगाए गए समान प्रतिबंध लगाने का निर्देश देते हैं।'' अदालत 1985 में एम सी मेहता द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।