इलाहाबाद हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी: धर्मांतरण पर चिंता, धार्मिक सभाओं पर रोक लगाने की सिफारिश

Edited By Mahima,Updated: 02 Jul, 2024 04:09 PM

important comment of allahabad high court concern over conversion

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अगर धार्मिक सभाओं में इस तरह से धर्मांतरण होता रहा तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक में बदल सकती है।

नेशनल डेस्क: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अगर धार्मिक सभाओं में इस तरह से धर्मांतरण होता रहा तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक में बदल सकती है। यह टिप्पणी एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आई, जिसमें धार्मिक सभाओं पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, पालन करने और प्रचार करने का अधिकार देता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति दूसरों का धर्म परिवर्तन कराए। न्यायाधीश रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा कि गरीब लोगों को गुमराह कर उनका धर्म परिवर्तन कराना अनुचित है और इसे रोकने की आवश्यकता है।

गांव के सभी लोगों का धर्म परिवर्तन
इस मामले में न्यायाधीश रोहित रंजन अग्रवाल ने एक आरोपी कैलाश की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। आरोप है कि कैलाश ने एक गांव के सभी लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया। रामकली प्रजापति ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कैलाश ने उनके मानसिक रूप से बीमार भाई रामफल को इलाज के बहाने दिल्ली ले जाकर धर्म परिवर्तन कराया और गांव के अन्य लोगों को भी इसके लिए मजबूर किया। रामकली के अनुसार, कैलाश ने उनके भाई को काफी समय तक वापस नहीं लाया और बाद में गांव आकर कई लोगों को दिल्ली में आयोजित एक धार्मिक सभा में ले गया, जहां सभी का धर्म परिवर्तन करा दिया गया। इसके बदले में उनके भाई को पैसे भी दिए गए।
 

While hearing a case regarding unlawful conversion of religion, Allahabad High Court yesterday observed,"...If this process is allowed to be carried out, the majority population of this country would be in minority one day, and such religious congregation should be immediately…

— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 2, 2024


कोर्ट का फैसला
न्यायाधीश ने कहा कि संविधान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म प्रचार का मतलब किसी का धर्म परिवर्तन कराना नहीं है। इस मामले में आरोपी कैलाश को जमानत नहीं दी जा सकती, क्योंकि उसके कार्य ने पूरे गांव की धार्मिक पहचान को बदलने का प्रयास किया है। यह फैसला उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है जो धर्मांतरण के लिए धार्मिक सभाओं का उपयोग कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाई जानी चाहिए ताकि देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को सुरक्षित रखा जा सके।
 

 

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