Edited By Parveen Kumar,Updated: 09 Feb, 2025 06:40 PM
भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, जो 1.4 बिलियन लोगों की सेवा करती है, कई समस्याओं का सामना कर रही है। इनमें शहरी-ग्रामीण विभाजन, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, बढ़ती चिकित्सा लागत और गंभीर बीमारियों का बढ़ता प्रचलन शामिल हैं।
नेशनल डेस्क : भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, जो 1.4 बिलियन लोगों की सेवा करती है, कई समस्याओं का सामना कर रही है। इनमें शहरी-ग्रामीण विभाजन, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, बढ़ती चिकित्सा लागत और गंभीर बीमारियों का बढ़ता प्रचलन शामिल हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए, 2025-26 के केंद्रीय बजट में कई महत्वपूर्ण पहल की गई हैं।
1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट पेश किया, जिसमें स्वास्थ्य सेवा के लिए 99,858.56 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह पिछले वर्ष के मुकाबले 9.78% अधिक है। यह राशि न केवल बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए, बल्कि चिकित्सा अनुसंधान और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए भी इस्तेमाल की जाएगी।
बजट में मेडिकल कॉलेजों में 10,000 नई सीटें जोड़ने का प्रस्ताव है, जिससे डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जा सके। इस कदम से भारत का डॉक्टर-से-जनसंख्या अनुपात 2030 तक बेहतर होगा। इसके अलावा, 5,000 नई अटल टिंकरिंग लैब स्थापित की जाएंगी, ताकि वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा मिल सके और नीम हकीमी जैसी समस्याओं को समाप्त किया जा सके।
कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए, बजट में 36 जीवन रक्षक दवाओं पर सीमा शुल्क में छूट और 6 अन्य दवाओं पर रियायतें दी गई हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 1 करोड़ गिग वर्कर्स को स्वास्थ्य कवरेज मिलेगा।
कैंसर देखभाल के लिए भी बड़ा कदम उठाया गया है। बजट में प्रस्तावित है कि 3 वर्षों के भीतर सभी जिलों में 200 कैंसर डेकेयर केंद्र स्थापित किए जाएं, जिससे मरीजों को उनके घर के पास ही बेहतर उपचार मिल सके। इस प्रकार, केंद्रीय बजट 2025-26 ने भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, जिससे अधिक लोगों तक गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकेंगी।