Edited By Tanuja,Updated: 01 Jan, 2025 05:05 PM
भारत को बदनाम करने के लिए अमेरिका का नया दाव सामने आया है। वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने मालदीव के राष्ट्रपति मुहीद...
Washinton: भारत को बदनाम करने के लिए अमेरिका का नया दाव सामने आया है। वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने मालदीव के राष्ट्रपति मुहीद मुइज्जू के तख्ता पलट के लिए मालदीव के विपक्षी नेताओं के साथ साजिश रची थी। यह साजिश सितंबर 2023 में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद शुरू हुई, जब उन्होंने भारत से अपनी सेना को मालदीव से बाहर करने की मांग की थी। रिपोर्ट में कहा गया कि इस साजिश को कुछ महीनों के बाद छोड़ दिया गया क्योंकि मालदीव के विधायकों ने मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग लाने के प्रयास में शामिल होने से इनकार कर दिया था।
भारत सरकार ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, और वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा आधिकारिक रूप से न तो नकारा गया है और न ही पुष्टि की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2024 में भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के अधिकारियों ने मालदीव के विपक्षी नेताओं से गुपचुप बातचीत शुरू की थी, जिसमें मुइज्जू को सत्ता से हटाने का प्रयास किया जा रहा था। इस बातचीत का उद्देश्य मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए 40 सांसदों को रिश्वत देना था, जिसमें मुइज्जू की अपनी पार्टी के सदस्य भी शामिल थे।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साजिश को लागू करने के लिए 87 मिलियन मालदीवियन रूफिया (लगभग 6 मिलियन डॉलर) की जरूरत थी, जिसे भारत से प्राप्त किया जाना था। इसमें 10 सीनियर सेना और पुलिस अधिकारियों और तीन बड़े अपराधी गैंक्स को भी शामिल किया गया था, ताकि मुइज्जू की सत्ता से हटाने में मदद मिल सके। हालांकि, महीनों तक गुपचुप बातचीत के बावजूद, साजिशकारों को पर्याप्त वोट नहीं मिल सके और महाभियोग की योजना विफल हो गई। रिपोर्ट में कहा गया कि जनवरी 2024 में वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास में एक वरिष्ठ RAW अधिकारी ने मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू को हटाने की योजना पर चर्चा की थी। इस योजना में दो भारतीय बिचौलियों का नाम लिया गया, जिनके मालदीव में राजनीतिक और व्यवसायिक संपर्क थे।
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इनमें से एक बिचौलिए का नाम शिरीष थोरट था, जो एक पूर्व भारतीय पुलिस अधिकारी हैं और निजी सैन्य ठेकेदार के रूप में काम कर चुके हैं। वह मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के सलाहकार रह चुके हैं और इस्लामी कट्टरपंथ से निपटने के लिए काम कर चुके थे। दूसरे बिचौलिए का नाम सवियो रोड्रिग्स था, जो गोवा के एक प्रकाशक हैं और भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता रह चुके हैं। जब वॉशिंगटन पोस्ट ने इनसे संपर्क किया, तो थोरट और रोड्रिग्स ने यह पुष्टि की कि मुइज्जू को हटाने की योजना मौजूद थी, लेकिन यह नहीं बताया कि क्या वे भारतीय सरकार की ओर से काम कर रहे थे।
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रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत ने मालदीव के प्रमुख राजनीतिक दल मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए। खासकर जब चीन ने MDP के विरोधी दल, जिनकी अगुआई पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन और मुइज्जू कर रहे थे, के साथ रिश्ते बनाने शुरू किए थे। भारत ने MDP के नेताओं और उनके चुनावी उम्मीदवारों को भी समर्थन दिया, ताकि मालदीव में अपनी पकड़ मजबूत रखी जा सके।023 के राष्ट्रपति चुनाव में मुइज्जू ने भारत के प्रभाव का विरोध किया और 'भारत बाहर' का नारा उठाया था। हालांकि, भारत ने फिर भी MDP के अभियान का समर्थन किया और भारतीय विश्लेषकों और चुनाव कर्मचारियों को मुइज्जू के खिलाफ अभियान में भेजा था। इसने कुछ मालदीवी रक्षा अधिकारियों में चिंता पैदा की थी।