अगले कुछ दिनों में भारत नहीं रहेगा स्विट्जरलैंड का 'मोस्ट फेवर्ड' देश, क्या है इसका मतलब?

Edited By Mahima,Updated: 16 Dec, 2024 12:33 PM

in next few days india will no longer be switzerland s  most favoured  country

स्विट्जरलैंड ने भारत से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) का दर्जा वापस ले लिया है। यह फैसला भारतीय सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद लिया गया है, जिसमें टैक्स छूट को लेकर असहमति थी। इससे स्विट्जरलैंड की कंपनियों को भारत में अधिक टैक्स देना पड़ेगा। हालांकि,...

नेशनल डेस्क: भारत और स्विट्जरलैंड के बीच सालों से मजबूत व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध रहे हैं, लेकिन अब इस संबंध में एक बड़ा बदलाव हो सकता है। स्विट्जरलैंड ने भारत से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) का दर्जा वापस लेने का निर्णय लिया है। इस फैसले के पीछे भारतीय सुप्रीम कोर्ट का एक अहम आदेश है, जिसके कारण स्विट्जरलैंड ने यह कदम उठाया। यह निर्णय दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों पर असर डाल सकता है, क्योंकि MFN का दर्जा व्यापारिक लाभों का प्रतीक होता है।

क्या है ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) का दर्जा?
‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) का दर्जा व्यापारिक संबंधों में एक विशेष स्थिति को दर्शाता है, जिसके तहत एक देश अपने व्यापारिक साझीदार को सबसे अच्छे संभव व्यापारिक लाभ और सुविधाएं प्रदान करता है। इस दर्जे से, दोनों देशों के बीच व्यापार में कर, शुल्क और अन्य व्यापारिक नियमों में समानता होती है, जो दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होती है। जब कोई देश किसी दूसरे देश को MFN का दर्जा देता है, तो उसे अन्य देशों के मुकाबले व्यापार में बेहतर छूट और सहूलत मिलती है। उदाहरण के लिए, भारत और स्विट्जरलैंड के बीच MFN का दर्जा व्यापारिक बाधाओं को कम करने और दोनों देशों के कारोबारी संबंधों को मजबूत करने में मदद करता था।

स्विट्जरलैंड का MFN का दर्जा वापस लेने का कारण
स्विट्जरलैंड ने भारत से MFN का दर्जा वापस लेने का निर्णय भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले के बाद लिया। दरअसल, पिछले साल एक मामले में स्विस कंपनी नेस्ले ने भारतीय अदालत में यह दलील दी थी कि भारत ने कुछ देशों को टैक्स में विशेष छूट दी है, और वह चाहता था कि स्विट्जरलैंड को भी यह छूट मिलनी चाहिए। इसमें स्विट्जरलैंड ने कहा था कि भारत को अपने डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTA) को आयकर अधिनियम के तहत नोटिफाई करने की जरूरत है, ताकि उन्हें यह टैक्स छूट मिल सके। डीटीएए एक समझौता है, जिसके तहत दो देशों के बीच करों की डबल चुकता से बचाव होता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि कंपनियां और व्यक्ति एक ही आय के लिए दोनों देशों में टैक्स न दें। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि नेस्ले जैसी कंपनियों को यह टैक्स छूट स्वतः नहीं मिल सकती, बल्कि इसके लिए सरकार को अलग से अधिसूचना जारी करनी होगी। इस फैसले से स्विट्जरलैंड असंतुष्ट था और उसने MFN का दर्जा वापस ले लिया।

MFN का दर्जा वापस लेने से स्विट्जरलैंड पर क्या असर होगा?
स्विट्जरलैंड द्वारा MFN का दर्जा वापस लेने से वहां की कंपनियों को भारत में व्यापार करने पर अधिक टैक्स चुकाना पड़ेगा। पहले स्विट्जरलैंड की कंपनियों को भारत में व्यापार करने पर 5 प्रतिशत टैक्स देना होता था, लेकिन अब उन्हें यह टैक्स 10 प्रतिशत तक चुकाना होगा। इससे स्विट्जरलैंड की कंपनियों की कारोबारी लागत बढ़ेगी, जो उनके लिए आर्थिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, स्विट्जरलैंड की कंपनियां, जैसे कि नेस्ले, अब उन छूटों से वंचित हो जाएंगी, जो पहले उन्हें मिल रही थीं।

भारत-स्विट्जरलैंड व्यापार पर असर
स्विट्जरलैंड और भारत के बीच कारोबारी संबंध लंबे समय से मजबूत रहे हैं। फिलहाल, भारत में 300 से अधिक स्विस कंपनियां काम कर रही हैं, जिनमें प्रमुख क्षेत्रों जैसे बैंकिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, आईटी, और चिकित्सा क्षेत्र शामिल हैं। इन कंपनियों ने भारत में करीब 1.5 लाख लोगों को रोजगार दिया है। वहीं, भारत में भी 140 से अधिक भारतीय कंपनियां स्विट्जरलैंड में निवेश कर चुकी हैं। दोनों देशों के बीच MFN का दर्जा समाप्त होने से व्यापार में कुछ रुकावट आ सकती है। हालांकि, दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (EFTA) के तहत एक समझौता हुआ है, जिसके तहत स्विट्जरलैंड समेत अन्य यूरोपीय देशों ने भारत में अगले 15 वर्षों में 100 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है। 

स्विट्जरलैंड की प्रतिक्रिया
स्विट्जरलैंड की सरकार ने इस फैसले को सर्वोच्च अदालत के निर्णय से जोड़ते हुए कहा है कि यह कदम अदालत के फैसले के आधार पर उठाया गया है। स्विट्जरलैंड ने भारत के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भी संकेत दिए हैं, लेकिन फिलहाल MFN का दर्जा वापस लेने के बाद दोनों देशों के बीच कुछ असहमति हो सकती है। स्विस एंबेसी ने हालांकि यह भी कहा है कि MFN का दर्जा हटने का असर भारत और स्विट्जरलैंड के बीच व्यापार और निवेश की दिशा में नहीं पड़ेगा, क्योंकि EFTA के तहत दोनों देशों के बीच निवेश के रास्ते पहले ही खुले हुए हैं।

भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संबंध
भारत और स्विट्जरलैंड के बीच आर्थिक, व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों में हमेशा ही घनिष्ठता रही है। दोनों देशों के बीच EFTA के तहत एक समझौता हुआ है, जिसके तहत स्विट्जरलैंड और अन्य यूरोपीय देशों ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करने की योजना बनाई है। इसके तहत अगले 15 वर्षों में भारत में 100 बिलियन डॉलर का निवेश होने की संभावना है। हालांकि, MFN का दर्जा वापस लेने के बाद भी यह निवेश प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि दोनों देशों के बीच अन्य सहयोग समझौते पहले से स्थापित हैं। 

भारत और स्विट्जरलैंड के रिश्तों में यह बदलाव व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि MFN का दर्जा दोनों देशों के बीच व्यापारिक लाभों का प्रतीक था। हालांकि, स्विट्जरलैंड का यह कदम अस्थायी आर्थिक प्रभाव डाल सकता है, लेकिन दोनों देशों के बीच अन्य समझौतों के चलते यह पूरी तरह से व्यापारिक संबंधों को प्रभावित नहीं करेगा। दोनों देशों के बीच निवेश और सहयोग के लिए कई रास्ते खुले हुए हैं, जिनसे दीर्घकालिक लाभ हो सकता है।

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