Big decision of Income Tax Department: अब अधिकारी करदाताओं का बकाया ब्याज माफ या कम कर सकेंगे, जानिए नए नियम

Edited By Mahima,Updated: 06 Nov, 2024 10:54 AM

income tax department now officers able to reduce the outstanding interest

आयकर विभाग ने अधिकारियों को करदाताओं के बकाया ब्याज को माफ या कम करने का अधिकार दिया है। यह छूट कुछ शर्तों के आधार पर मिलेगी, जैसे करदाता की वास्तविक कठिनाई, चूक बाहरी कारणों से हुई हो, और करदाता ने अधिकारियों के साथ सहयोग किया हो। प्रधान मुख्य...

नेशनल डेस्क: आयकर विभाग ने करदाताओं के लिए एक राहत की खबर दी है। अब आयकर अधिकारी करदाताओं पर बकाया ब्याज को माफ या कम करने का अधिकार रखेंगे, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें होंगी। यह कदम उन करदाताओं के लिए है जिन्होंने किसी कारणवश समय पर कर राशि का भुगतान नहीं किया और अब उन्हें ब्याज चुकाना पड़ रहा है। नए नियमों के अनुसार, आयकर अधिनियम की धारा 220 (2ए) के तहत, यदि करदाता किसी नोटिस के बाद भी कर राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे ब्याज देना होता है। लेकिन अब आयकर अधिकारी कुछ परिस्थितियों में इस ब्याज राशि को माफ या घटा सकते हैं।  

आयकर अधिकारी को मिले अधिकार  
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा जारी किए गए नए सर्कुलर के अनुसार, आयकर अधिकारियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे कुछ शर्तों के तहत करदाताओं के बकाया ब्याज को कम कर सकते हैं या माफ कर सकते हैं। यह अधिकार तीन प्रमुख रैंक के अधिकारियों को दिया गया है: 
1. प्रधान मुख्य आयुक्त (PRCCIT) 
2. मुख्य आयुक्त (CCIT)
3. प्रधान आयुक्त (PRCIT) या आयकर आयुक्त
इन अधिकारियों को अपने निर्धारित सीमा के भीतर बकाया ब्याज को कम करने या माफ करने का अधिकार मिलेगा। इसके लिए अधिकारियों की रैंक और बकाया ब्याज की राशि के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।  

कितनी राशि पर मिलेगा राहत
- प्रधान मुख्य आयुक्त (PRCCIT) रैंक के अधिकारी 1.5 करोड़ रुपए से अधिक के बकाया ब्याज को कम या माफ करने का निर्णय ले सकते हैं।  
- मुख्य आयुक्त (CCIT) रैंक के अधिकारी 50 लाख से 1.5 करोड़ तक के बकाया ब्याज को कम करने या माफ करने का फैसला करेंगे।  
- प्रधान आयुक्त (PRCIT) या आयकर आयुक्त 50 लाख तक के बकाया ब्याज पर राहत देने का निर्णय ले सकेंगे।  

क्या हैं शर्तें? 
करदाता को राहत मिलने के लिए तीन मुख्य शर्तें निर्धारित की गई हैं। इन शर्तों को पूरा किए बिना किसी भी करदाता को ब्याज में छूट नहीं मिल सकेगी। ये शर्तें हैं:
1. वास्तविक कठिनाई: करदाता को ब्याज राशि का भुगतान करने में असमर्थता या कठिनाई का सामना करना पड़ा हो।  
2. करदाता की चूक नहीं: ब्याज भुगतान में चूक करदाता की अपनी गलती से नहीं, बल्कि किसी बाहरी कारण जैसे कि अप्रत्याशित परिस्थितियों या संकट के कारण हुई हो।  
3. सहयोग: करदाता ने कर निर्धारण या वसूली प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग किया हो। यदि करदाता ने जांच या वसूली में सहायता की हो, तो उसे राहत मिल सकती है।  

किसे मिलेगा फायदा? 
यह नई व्यवस्था खासतौर पर उन करदाताओं के लिए है जिनका ब्याज भुगतान किसी गंभीर परिस्थिति या कठिनाई के कारण नहीं हो सका। इसके अलावा, जिन करदाताओं ने टैक्स अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग किया है और जिन्होंने अपनी देनदारी का भुगतान करने में पूरी कोशिश की है, उन्हें भी इसका फायदा मिलेगा। इस फैसले से उन करदाताओं को राहत मिलेगी जो वित्तीय संकट या किसी अन्य अप्रत्याशित कारण से टैक्स भुगतान में देरी कर गए थे।  

क्या बदलाव होगा?  
इस नए फैसले से आयकर विभाग के अधिकारियों को ज्यादा लचीलापन मिलेगा, जिससे वे करदाताओं की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फैसला ले सकेंगे। साथ ही, यह व्यवस्था करदाताओं के लिए एक राहत की उम्मीद बन सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने किसी विशेष परिस्थिति के कारण टैक्स की देनदारी का भुगतान समय पर नहीं किया। आयकर विभाग का यह कदम एक सकारात्मक बदलाव हो सकता है जो करदाताओं को राहत प्रदान करेगा। इससे करदाताओं को अपनी देनदारी को लेकर कुछ लचीलापन मिलेगा, खासकर जब वे किसी आपातकालीन या अप्रत्याशित परिस्थिति से जूझ रहे हों। इस व्यवस्था से करदाता को यह संदेश भी जाएगा कि आयकर विभाग सिर्फ नियमों का पालन नहीं करता, बल्कि वास्तविक समस्याओं को समझकर राहत देने की दिशा में भी काम कर रहा है।

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