वक्फ संपत्तियों पर विवादों का बढ़ता सिलसिला: 5 बड़े मामले और सरकार का नया बिल

Edited By Mahima,Updated: 26 Nov, 2024 03:07 PM

increasing disputes over waqf properties

भारत में वक्फ संपत्तियां अक्सर कानूनी विवादों में घिरी रहती हैं, क्योंकि ये धार्मिक दान हैं जिनका कोई वारिस नहीं होता। हाल ही में दिल्ली, केरल, कर्नाटका और गुजरात में वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद सामने आए हैं। सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन की योजना...

नेशनल डेस्क: वर्तमान समय में वक्फ संपत्तियां देशभर में विवादों का कारण बनी हुई हैं। इनमें से कुछ विवाद बेहद जटिल हो गए हैं, जहां वक्फ बोर्ड ने कई संपत्तियों पर दावा किया है, जिन पर पहले से ही दूसरे संस्थाओं का कब्जा था। इन संपत्तियों को लेकर कानूनी लड़ाइयाँ जारी हैं, और इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने वक्फ प्रबंधन कानून में संशोधन करने का निर्णय लिया है। आगामी संसद सत्र में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए नया बिल पेश किया जाएगा, जो मौजूदा कानून की खामियों को दूर करने का दावा करता है। 

वक्फ की संपत्तियां और विवाद
वक्फ बोर्ड द्वारा संचालित संपत्तियां इस्लाम के नाम पर दान की जाती हैं और इनका कोई वारिस नहीं होता। यह संपत्तियां समाज के लाभ के लिए होती हैं, लेकिन इन्हीं संपत्तियों को लेकर देशभर में कई विवाद सामने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट के 1998 के फैसले के अनुसार, एक बार जो संपत्ति वक्फ के रूप में घोषित हो जाती है, वह हमेशा के लिए वक्फ बनी रहती है। हालांकि, वक्फ की संपत्तियां अक्सर विवादों का शिकार हो जाती हैं, क्योंकि इन पर कोई स्पष्ट मालिकाना हक नहीं होता। हाल ही में एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि दिल्ली में 200 से अधिक संपत्तियों को वक्फ की संपत्ति घोषित किया गया है, जबकि ये संपत्तियां पहले से ही विभिन्न सरकारी संस्थाओं के नियंत्रण में थीं। इनमें से 108 संपत्तियां दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के पास और 138 संपत्तियां दिल्ली के लैंड एंड डेवेलपमेंट ऑफिस (L&DO) के पास थीं।  इसके अलावा, केरल, कर्नाटक, और गुजरात जैसे राज्यों में भी वक्फ की संपत्तियों को लेकर विवाद गहराते जा रहे हैं। इन विवादों के कारण लोग कानूनी लड़ाइयाँ लड़ रहे हैं और वक्फ बोर्ड के खिलाफ मुकदमे दायर कर रहे हैं।

वक्फ संपत्तियों पर बड़े विवाद
वक्फ संपत्तियों से संबंधित 5 प्रमुख विवादों ने हाल ही में काफी ध्यान आकर्षित किया है:

1. तिरुचेंतुरई गांव, तमिलनाडु
   तमिलनाडु के तिरुचेंतुरई गांव की पूरी भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है। यह दावा 1956 में नवाब अनवरदीन खान द्वारा दान की गई जमीन पर किया गया था। वक्फ बोर्ड ने इस जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए इसे "जीरो वैल्यू" के रूप में रजिस्टर करने की मांग की थी, जिससे जमीन का कोई भी अवैध लेन-देन रोका जा सके।

2. ईदगाह ग्राउंड, बेंगलुरु  
   बेंगलुरु के ईदगाह ग्राउंड पर वक्फ बोर्ड का दावा है कि यह भूमि 1850 से वक्फ की संपत्ति है, जबकि सरकार का कहना है कि यह भूमि कभी भी वक्फ को नहीं दी गई थी। इस मामले में दोनों पक्षों के बीच विवाद बढ़ गया है।

3. सूरत नगर निगम की बिल्डिंग, गुजरात
   गुजरात वक्फ बोर्ड ने सूरत नगर निगम की बिल्डिंग पर दावा किया है। बोर्ड का कहना है कि मुग़ल काल में यह एक सराय हुआ करता था, जिसका उपयोग हज यात्रा के दौरान होता था। ब्रिटिश शासन के दौरान यह संपत्ति अंग्रेजों के पास चली गई थी, लेकिन स्वतंत्रता के बाद इसे भारत सरकार के अधीन कर दिया गया।

4. बेट द्वारका के द्वीप, गुजरात  
   गुजरात वक्फ बोर्ड ने द्वारका के बेट द्वारका के दो द्वीपों पर दावा किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वक्फ बोर्ड कृष्ण नगरी द्वारका की जमीन पर दावा नहीं कर सकता।

5. शिव सोसायटी, सूरत
   सूरत की एक हाउसिंग सोसाइटी में एक व्यक्ति ने अपनी संपत्ति को वक्फ बोर्ड को दे दिया, जिसके बाद यहां नमाज पढ़ी जाने लगी। इस प्रकार की घटनाओं से सोसायटी में तनाव बढ़ गया है, क्योंकि कोई व्यक्ति अपनी मंजूरी के बिना किसी स्थान को वक्फ बोर्ड को दान कर सकता है और उस पर मस्जिद बनाई जा सकती है।

वक्फ संपत्तियां और विवादित क्षेत्र
भारत में वक्फ संपत्तियों की कुल संख्या 8.72 लाख से अधिक है, जिनमें मस्जिदें, कब्रिस्तान, कृषि भूमि, और अन्य धार्मिक स्थल शामिल हैं। इनमें से लगभग 73,000 संपत्तियां ऐसी हैं, जिन पर विवाद है। जिन संपत्तियों पर मुकदमे चल रहे हैं या जो अतिक्रमण की स्थिति में हैं, उन्हें विवादित संपत्ति माना जाता है। वक्फ संपत्तियों के विवाद सबसे ज्यादा पंजाब, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में हैं। पंजाब में वक्फ की लगभग 56% संपत्तियां विवादित हैं। 

सरकार का वक्फ कानून में बदलाव का प्रस्ताव
वर्तमान वक्फ कानून, जिसे 1954 में पेश किया गया था, में कई बार संशोधन हुए हैं। अब सरकार ने एक नया बिल लाने का प्रस्ताव किया है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार करेगा। प्रस्तावित बिल के अनुसार, अब वक्फ संपत्तियों का सर्वे जिला कलेक्टर या डिप्टी कमिश्नर करेंगे। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड के सभी सदस्य सरकारी द्वारा नामित किए जाएंगे, जिसमें दो सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे। वक्फ ट्रिब्यूनल में भी बदलाव होगा, और अब यह तीन के बजाय दो सदस्यीय होगा, और फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। इसके अतिरिक्त, यदि वक्फ बोर्ड ने किसी संपत्ति पर कब्जा किया है तो वह संपत्ति उसके वास्तविक मालिक को वापस की जाएगी। इस बदलाव का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है।

वक्फ संपत्ति: एक कानूनी और धार्मिक दृष्टिकोण
वक्फ वह संपत्ति होती है, जो किसी व्यक्ति द्वारा इस्लामिक धर्म के प्रचार और जरूरतमंदों की मदद के लिए अल्लाह के नाम पर दान की जाती है। इसे न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है। वक्फ संपत्तियों का उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जाता है और यह हमेशा वक्फ बोर्ड के प्रबंधन में रहती है। देशभर में वक्फ संपत्तियों की निगरानी 32 वक्फ बोर्ड द्वारा की जाती है। इनमें से कुछ बोर्ड शिया और सुन्नी समुदायों के लिए अलग-अलग होते हैं, और इनका मुख्य कार्य वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और उनकी रक्षा करना है।

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