अंतरिक्ष में बढ़ती लंबाई और मांसपेशियों के कमजोर होने पर रिसर्च: आखिरकार क्या पड़ता है शरीर पर असर?

Edited By Rahul Rana,Updated: 20 Dec, 2024 11:01 AM

increasing weakening muscles how much damage does the body get in space

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से वापसी एक बार फिर टल गई है। वह जून 2024 से ISS पर फंसी हुई हैं और अब उनकी वापसी मार्च 2025 के बाद हो सकती है। पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि वह फरवरी 2025 में वापस आ सकती...

नेशनल डेस्क। भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से वापसी एक बार फिर टल गई है। वह जून 2024 से ISS पर फंसी हुई हैं और अब उनकी वापसी मार्च 2025 के बाद हो सकती है। पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि वह फरवरी 2025 में वापस आ सकती हैं लेकिन बोइंग स्टारलाइनर में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण यह समय और बढ़ा दिया गया है। इस देरी का असर उनके शरीर पर भी पड़ सकता है।

अंतरिक्ष में शरीर पर क्या असर होता है?

ओटावा यूनिवर्सिटी ने एक अध्ययन किया है जिसमें 14 अंतरिक्ष यात्रियों जिनमें ब्रिटेन के टिम पेक भी शामिल हैं के शरीर पर अंतरिक्ष में रहने के असर का विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन में उनके ब्लड और सांस के सैम्पल लिए गए ताकि शरीर में हो रहे बदलावों को समझा जा सके।

अंतरिक्ष में रक्त कोशिकाओं का नष्ट होना

अंतरिक्ष में जाने के बाद इंसान की रक्त कोशिकाओं (RBCs) की संख्या तेजी से नष्ट होने लगती है। अध्ययन के अनुसार धरती पर हर सेकंड में लगभग 2 लाख रक्त कोशिकाएं नष्ट होती हैं जबकि अंतरिक्ष में यह संख्या 30 लाख प्रति सेकंड तक पहुंच जाती है। यह नष्ट होने की प्रक्रिया पूरे मिशन के दौरान चलती रहती है जिसके कारण अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौटने के बाद थका हुआ और कमजोर महसूस करते हैं।

मांसपेशियों और हड्डियों पर असर

अंतरिक्ष में ग्रेविटी (गुरुत्वाकर्षण) की कमी के कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और हड्डियों का वजन घट जाता है। NASA के मुताबिक अंतरिक्ष में हर महीने हड्डियों की मिनरल डेंसिटी में 1 से 1.5 फीसदी तक की कमी होती है। जब अंतरिक्ष यात्री धरती पर वापस लौटते हैं तो उन्हें फ्रैक्चर का खतरा रहता है खासकर अगर उनका खानपान और वर्कआउट रूटीन सही न हो।

लंबाई में बढ़ोतरी

अंतरिक्ष में जाने के कुछ दिनों बाद ही अंतरिक्ष यात्री की लंबाई में 3-4 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। इसका कारण यह है कि अंतरिक्ष में माइक्रोग्रेविटी (ग्रेविटी की कमी) के कारण उनकी रीढ़ की हड्डी में मौजूद कार्टिलेज डिस्क फैल जाती है जो सामान्य रूप से गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से संकुचित होती है।

रेडिएशन का असर

अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से रेडिएशन के संपर्क में आने का खतरा बढ़ जाता है जिससे DNA को नुकसान हो सकता है। यह शरीर के अंदर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।

अंतरिक्ष यात्री के शरीर के लिए आवश्यक बातें

अंतरिक्ष में शरीर की सही स्थिति बनाए रखने के लिए अंतरिक्ष यात्री को आयरन और कैलोरी की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। सही खानपान और एक्सरसाइज से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है।

वहीं इस अध्ययन और जानकारी से यह स्पष्ट होता है कि अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने के बाद शरीर पर कई प्रभाव पड़ते हैं जिनका असर वापसी के बाद भी लंबे समय तक रह सकता है। सुनीता विलियम्स की वापसी में हुई देरी इस बात को और स्पष्ट करती है कि अंतरिक्ष यात्रा से जुड़े शारीरिक प्रभावों का ध्यान रखना कितना जरूरी है।

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