भारत ने बांग्लादेश में अपने नागरिकों के लिए जारी की ट्रैवल एडवाइजरी, दी खास सलाह

Edited By Tanuja,Updated: 18 Jul, 2024 03:14 PM

india asks its citizens in bangladesh to avoid travel

भारत ने बांग्लादेश में हो रहे विरोध-प्रदर्शन के मद्देजनर यहां रहने वाले अपने नागरिकों के लिए बृहस्पतिवार को परामर्श जारी करते हुए कहा कि वे यात्रा करने...

ढाका: भारत ने बांग्लादेश में हो रहे विरोध-प्रदर्शन के मद्देजनर यहां रहने वाले अपने नागरिकों के लिए बृहस्पतिवार को परामर्श जारी करते हुए कहा कि वे यात्रा करने से बचें और कम से कम बाहर निकलें। सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर जारी विरोध प्रदर्शनों में हिंसा फैलने से देशभर में कम से कम छह लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा के कारण सरकार ने मंगलवार देर रात बांग्लादेश में सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ स्कूलों और कॉलेजों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया तथा छात्रों से छात्रावास खाली करने को कहा गया।

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भारतीय उच्चायोग ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘बांग्लादेश में मौजूदा हालात को देखते हुए बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय समुदाय के सदस्यों और भारतीय छात्रों को यात्रा से बचने और अपने निवास स्थान से बाहर कम से कम आवाजाही की सलाह दी जाती है।'' मिशन ने किसी भी सहायता के लिए 24 घंटे चालू रहने वाले कई आपातकालीन नंबर भी जारी किए हैं। उच्चायोग की वेबसाइट के अनुसार बांग्लादेश में लगभग सात हजार भारतीय हैं। ये झड़पें सोमवार को शुरू हुईं, जब सत्तारूढ़ अवामी लीग के छात्र मोर्चे के कार्यकर्ता प्रदर्शनकारियों के सामने आ गए।

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प्रदर्शनकारी इस बात पर जोर दे रहे थे कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को काफी हद तक रोक रही है। प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ पार्टी की छात्र शाखा, बांग्लादेश छात्र लीग पर पुलिस के समर्थन से उनके ‘‘शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन'' पर हमला करने का आरोप लगाया। छात्र प्रदर्शनकारियों ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रव्यापी बंद करने का निर्णय लिया है।

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मौजूदा आरक्षण प्रणाली के तहत 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के नायकों की संतानों और पौत्र-पौत्रियों के लिए 30 फीसदी नौकरियां, प्रशासनिक जिलों के लिए 10 प्रतिशत, महिलाओं के लिए 10 प्रतिशत, जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए पांच प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत नौकरियां आरक्षित हैं। हर साल लगभग तीन हजार सरकारी नौकरियां के लिए लगभग चार लाख स्नातक छात्र आवेदन करते हैं। प्रदर्शनकारी इस व्यवस्था में बदलाव के लिए आवाज उठा रहे हैं और उनका कहना है कि मौजूदा व्यवस्था मेधावी छात्रों को प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी की सरकारी नौकरियों से वंचित करती है।  

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