Edited By Rahul Singh,Updated: 30 Dec, 2024 03:32 PM
लद्दाख में शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित किए जाने के बाद छिड़ा यह विवाद राष्ट्रीय गौरव, स्थानीय पहचान और पर्यावरणीय चिंताओं के बीच एक जटिल संतुलन का मुद्दा उठाता है। यह सवाल खड़ा करता है कि राष्ट्रीय हितों को साधते हुए स्थानीय भावनाओं और पर्यावरण...
नेशनल डेस्क: भारतीय सेना द्वारा लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के किनारे छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित किए जाने के बाद से ही विवाद का बवंडर उठ खड़ा हुआ है। एक ओर जहां इस कदम को भारत की सैन्य शक्ति और ऐतिहासिक गौरव का प्रतीक बताया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों और कुछ विश्लेषकों ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक
भारतीय सेना का मानना है कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा सैनिकों का मनोबल बढ़ाएगी और देश की ऐतिहासिक व सैन्य शक्ति का प्रमाण है। सेना ने इस प्रतिमा को भारत-चीन सीमा पर एक संदेश के रूप में देखा है। 30 फीट ऊंची यह प्रतिमा मराठा योद्धा की वीरता और दूरदर्शिता का प्रतीक है।
स्थानीय विरोध और पर्यावरणीय चिंताएं
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रतिमा को स्थापित करने से पहले स्थानीय समुदाय से कोई परामर्श नहीं लिया गया। चुसुल के काउंसलर कोनचो स्टैनजिन ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लद्दाख के विशिष्ट पर्यावरण और वन्यजीवों को देखते हुए बिना स्थानीय सहमति के इस प्रतिमा का निर्माण किया जाना उचित नहीं है। साथ ही कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के कदम से स्थानीय संस्कृति और पहचान की अनदेखी होती है। वे कहते हैं कि लद्दाख की अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है और इस तरह के कदमों से स्थानीय लोगों में अलगाव की भावना पैदा हो सकती है।
शिवाजी बनाम जोरावर सिंह पर विवाद
इस विवाद में एक और पहलू यह भी सामने आया है कि कुछ लोग लद्दाख पर विजय प्राप्त करने वाले जनरल जोरावर सिंह की प्रतिमा लगाए जाने की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि जोरावर सिंह ने लद्दाख को भारत में मिलाया था और उनकी प्रतिमा लगाना अधिक उचित होगा।
पैंगोंग त्सो का सामरिक महत्व
पैंगोंग त्सो झील भारत-चीन सीमा पर स्थित है और इसका सामरिक महत्व बहुत अधिक है। साल 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से यह क्षेत्र कई बार तनाव का केंद्र रहा है। साल 2020 में दोनों देशों के सैनिकों के बीच यहां हुई झड़प के बाद से ही इस क्षेत्र पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं।