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नौसेना को मिला नया ताकतवर साथी, भारत ने 63,000 करोड़ रुपये में 26 Rafale-M जेट खरीदे

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 28 Apr, 2025 03:12 PM

india buys 26 rafale m jets for rs 63 000 crore

भारत ने सोमवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए फ्रांस के साथ नौसेना के लिए 26 अत्याधुनिक राफेल-एम (समुद्री संस्करण) लड़ाकू विमानों की खरीद पर 63,000 करोड़ रुपये का बड़ा सौदा किया है।

नेशनल डेस्क: भारत ने सोमवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए फ्रांस के साथ नौसेना के लिए 26 अत्याधुनिक राफेल-एम (समुद्री संस्करण) लड़ाकू विमानों की खरीद पर 63,000 करोड़ रुपये का बड़ा सौदा किया है। इस सौदे से भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा और समुद्री सुरक्षा में नया आयाम जुड़ जाएगा। भारत और फ्रांस के बीच हुए इस समझौते के तहत 22 सिंगल-सीटर राफेल-एम लड़ाकू विमान और चार ट्विन-सीटर ट्रेनर विमान खरीदे जाएंगे। यह सौदा सरकार से सरकार के बीच हुआ है और इसे अब तक का एक बड़ा और रणनीतिक सौदा माना जा रहा है। इन विमानों की डिलीवरी साल 2031 तक पूरी होने की उम्मीद है। इसके साथ ही भारतीय नौसेना के पायलटों और तकनीकी स्टाफ के लिए ट्रेनिंग, विमानों की मरम्मत और लॉजिस्टिक सपोर्ट का भी प्रावधान इस समझौते में शामिल है।

राफेल-एम: क्यों माना जाता है इसे सबसे खास

राफेल-एम यानी 'मैरीटाइम वर्जन' को दुनिया के सबसे सक्षम नौसैनिक लड़ाकू विमानों में गिना जाता है। अभी तक केवल फ्रांसीसी नौसेना के पास ही इसका संचालन करने की क्षमता है। यह विमान सफ्रान ग्रुप के बनाए मजबूत लैंडिंग गियर से लैस है जो एयरक्राफ्ट करियर (जहाजों पर उड़ान भरने और लैंडिंग करने वाले विमानों) के लिए आदर्श है। इसमें फोल्डिंग विंग्स, टेलहुक और मजबूत अंडरकैरिज भी है ताकि समुद्र में कठिन हालातों में भी विमान आराम से ऑपरेट कर सके।

भारतीय नौसेना को कैसे मिलेगा फायदा

राफेल-एम विमानों को भारतीय नौसेना के दो विमान वाहक पोतों - आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य - पर तैनात किया जाएगा। इससे हिंद महासागर में भारत की निगरानी और जवाबी कार्रवाई की क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी। ये नए विमान पुराने पड़ चुके मिग-29के बेड़े की जगह लेंगे जो अब अपनी तकनीकी उम्र पूरी कर चुके हैं। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने पहले ही संकेत दिए थे कि नौसेना अब अपने संचालन के तरीकों में बदलाव कर रही है ताकि किसी भी खतरे को समय रहते 'नकारा' जा सके और प्रभावी कार्रवाई की जा सके।

आत्मनिर्भर भारत में एक और बड़ी छलांग

इस सौदे के तहत कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों का निर्माण भारत में भी किया जाएगा। यानी ऑफसेट शर्तों के तहत देश के भीतर स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा जो 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत एक बड़ी उपलब्धि है।

वायुसेना को भी मिलेगा अप्रत्यक्ष फायदा

भारतीय वायुसेना पहले से ही 36 राफेल सी वर्जन के लड़ाकू विमानों का सफलतापूर्वक संचालन कर रही है। अब नौसेना के लिए राफेल-एम के आने से वायुसेना को भी एक अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। खासकर 'बडी-बडी' रिफ्यूलिंग सिस्टम यानी एक विमान से दूसरे विमान को हवा में ही ईंधन भरने की सुविधा को और उन्नत किया जाएगा, जिससे दोनों बलों की ऑपरेशनल क्षमता में बड़ा सुधार होगा।

नौसेना लंबे समय से अपने खुद के फाइव्थ जेनरेशन फाइटर जेट्स को विकसित करने की योजना पर काम कर रही है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किए जा रहे ये ट्विन-इंजन, डेक आधारित लड़ाकू विमान 'एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट' (AMCA) के नौसेना संस्करण होंगे।

 

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