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भारत बन सकता है रसायन उद्योग का वैश्विक आपूर्ति हब, रिपोर्ट में खुलासा

Edited By Parminder Kaur,Updated: 06 Mar, 2025 04:26 PM

india can become a global supply hub for the chemical industry report

भारत अगले कुछ वर्षों में रसायन उद्योग का एक वैश्विक आपूर्ति हब बन सकता है, क्योंकि पिछले पांच वर्षों में उसने लागत प्रतिस्पर्धा और बाजार आकर्षण में शानदार प्रदर्शन किया है। यह बात मैकिन्से एंड कंपनी द्वारा भारतीय रसायन परिषद के साथ मिलकर जारी की गई...

नेशनल डेस्क. भारत अगले कुछ वर्षों में रसायन उद्योग का एक वैश्विक आपूर्ति हब बन सकता है, क्योंकि पिछले पांच वर्षों में उसने लागत प्रतिस्पर्धा और बाजार आकर्षण में शानदार प्रदर्शन किया है। यह बात मैकिन्से एंड कंपनी द्वारा भारतीय रसायन परिषद के साथ मिलकर जारी की गई एक रिपोर्ट में कही गई है।

रिपोर्ट में भारत के 16 प्रमुख विशेष रासायनिक उप-क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है, जिसमें फ्लेवर, फ्रेगरेन्सेस, खाद्य और पोषण आधारित रसायन शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हालांकि उद्योग के मार्जिन में गिरावट और मैक्रोइकोनॉमिक दबावों का असर पड़ा है, फिर भी राजस्व वृद्धि काफी सकारात्मक रही है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक आधार, पर्याप्त प्रतिभा और भारत के कम लागत वाले निर्माण के फायदे इस उद्योग को भविष्य में तेजी से बढ़ने के लिए तैयार करते हैं।"

यह भी बताया गया कि भारत की रसायन कंपनियों में दीर्घकालिक मूल्य सृजन की जबरदस्त क्षमता है, बावजूद इसके कि प्रतिस्पर्धा में वृद्धि, उद्योग की मांग में कमी और भूराजनीतिक अनिश्चितताएं सामने आईं हैं। इस उद्योग को वैश्विक मांग प्राप्त हो रही है, और यह एक लचीला और उच्च-वृद्धि वाला बाजार बनकर उभरा है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2024 तक रसायन उद्योग का राजस्व लगभग 10.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा, जबकि भारत की GDP में इस दौरान 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो इस क्षेत्र की संभावनाओं को दर्शाता है। खाद्य और पोषण क्षेत्र में बढ़ती उपभोक्ता मांग के चलते पिछले पांच से छह वर्षों में मजबूत राजस्व और EBITDA वृद्धि देखने को मिली है। इसके अलावा पेंट्स और कोटिंग्स, फ्लेवर और फ्रेगरेन्सेस, अमाइन्स, एडहेसिव्स और सीलेंट्स जैसे क्षेत्रों में उत्पाद विविधीकरण और भौगोलिक विस्तार के कारण तेज वृद्धि हुई, हालांकि मार्जिन में ज्यादा वृद्धि नहीं हो पाई।

पेंट्स और कोटिंग्स क्षेत्र को औद्योगिक कोटिंग्स से लाभ हुआ, जो कुल क्षेत्रीय राजस्व का करीब 30 प्रतिशत है। यह वृद्धि उपभोक्ता सामान, ऑटोमोबाइल्स और संबंधित उद्योगों की मजबूत वृद्धि के कारण हुई। वहीं अमाइन्स उद्योग को कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण नुकसान का सामना करना पड़ा।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एग्रोकेमिकल्स, प्लास्टिक एडिटिव्स, सर्फैक्टेंट्स, इनऑर्गेनिक्स, डाईज और पिगमेंट्स और लुब्रिकेंट्स और ईंधन एडिटिव्स जैसे क्षेत्रों में राजस्व और EBITDA का प्रदर्शन कमजोर रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की घरेलू खपत पिछले दशक में लगभग दोगुनी होकर 2024 के वित्तीय वर्ष में 2.14 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई। इसके अलावा, भारत 2026 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बनने की उम्मीद है। भारत का उपभोक्ता सामान उद्योग 2030 तक 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे यह 2027 तक दुनिया का चौथा सबसे बड़ा उद्योग बन जाएगा।

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