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तुलबुल प्रोजैक्ट फिर से शुरू करके भारत दे सकता है पाक को झटका

Edited By Seema Sharma,Updated: 22 Feb, 2019 11:49 AM

india can give pakistan a shock by resuming the tulbul project again

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा पाकिस्तान को जा रहा भारत के हिस्से का पानी रोकने के ऐलान के बाद भारत सरकार जेहलम नदी पर शुरू किए गए तुलबुल प्रोजैक्ट को एक बार फिर शुरू कर सकती है।

नेशनल डेस्कः केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा पाकिस्तान को जा रहा भारत के हिस्से का पानी रोकने के ऐलान के बाद भारत सरकार जेहलम नदी पर शुरू किए गए तुलबुल प्रोजैक्ट को एक बार फिर शुरू कर सकती है। पाकिस्तान द्वारा इस प्रोजैक्ट पर आपत्ति के बाद फिलहाल भारत ने इस प्रोजैक्ट पर काम रोका हुआ है। भारत ने अनंतनाग से श्रीनगर और बारामूला के 20 किलोमीटर के रास्ते और सोपोर से बारामूला के रास्ते पर जल मार्ग शुरू करने के लिए इस प्रोजैक्ट की शुरूआत की थी। इस प्रोजैक्ट के तहत भारत ने पहाड़ों से निकलने वाली वुलार झील के मुहाने पर पानी निकालने के लिए निर्माण शुरू किया था। योजना के तहत इस जल मार्ग पर पानी का स्तर कम से कम 4.5 फुट रखने का था क्योंकि यह सर्दियों में जम जाता है और यहां पानी का स्तर 2.5 फुट रह जाता है। पाकिस्तान की आपत्ति के बाद भारत ने 1987 में इस प्रोजैक्ट पर काम रोका था। यदि भारत ने यह प्रोजैक्ट शुरू किया तो जेहलम नदी का बहाव भारत के नियंत्रण में आ जाएगा और इससे पाकिस्तान के ट्रिपल कैनाल प्रोजैक्ट (जेहलम, चिनाब, अपरबारी दोआब) पर बुरा असर पड़ेगा और पाकिस्तान में बाढ़ और सूखे जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

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भारत तोड़ सकता है समझौता
हालांकि इंडस वाटर ट्रीटी दुनिया भर के सफल जल समझौतों में से एक है और भारत और पाकिस्तान के मध्य तनाव और युद्ध के बावजूद यह समझौता कायम रहा क्योंकि समझौते की शर्तों के मुताबिक इस संधि पर दोनों देशों में से कोई भी देश एकतरफा फैसला नहीं ले सकता लेकिन भारत यदि विएना समझौते के लॉ ऑफ ट्रीटीज के तहत पाकिस्तान पर भारत में आतंक फैलाने का स्टैंड ले तो भारत इस मामले में एकतरफा फैसला ले कर पाकिस्तान को झटका दे सकता है। हालांकि यह भी इतना आसान नहीं होगा क्योंकि संधि तोडऩे पर भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छवि को धक्का लग सकता है।

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भारत में आधारभूत ढांचे की कमी
इंडस वाटर ट्रीटी के नियमों के मुताबिक कानूनी तौर पर भारत अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र है। इंडस वाटर ट्रीटी के मुताबिक इंडस नदी से निकलने वाली नदियों के 80 फीसदी पानी पर पाकिस्तान का अधिकार है जबकि 20 फीसदी पानी भारत के हिस्से आता है। संधि की शर्तों के मुताबिक भारत पश्चिमी नदियों (जेहलम, चिनाब और सिंधु) के पानी का इस्तेमाल बिजली उत्पादन, सिंचाई और पीने के लिए इस्तेमाल कर सकता है लेकिन भारत ने उदारता दिखाते हुए अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है। इस पूरे मामले में दूसरा पहलू यह है कि पाकिस्तान को जा रहे पानी को रोकने और इसका बहाव अपनी नदियों की तरफ मोडऩे के लिए फिलहाल भारत के पास आधारभूत ढांचे की कमी है लेकिन यदि सरकार इस मामले पर सख्त फैसला ले भी ले तो इसे लागू करने में लंबा समय लग सकता है क्योंकि इसके लिए भारत को इस पानी को लंबे समय तक संभालने के पुख्ता प्रबंध करने होंगे।

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मोदी ने किया किशनगंगा पर प्रोजैक्ट का उद्घाटन
इससे पहले भारत ने पाकिस्तान की आपत्ति के बावजूद जेहलम नदी पर किशनगंगा हाइडल पावर प्रोजैक्ट शुरू किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 19 मई को इसका उद्घाटन किया था। इस प्रोजैक्ट के तहत जेहलम नदी पर बांध बना कर जम्मू-कश्मीर को जरूरत की 13 फीसदी बिजली की आपूर्ति मुफ्त में होगी।

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सिंधु नदी पर निर्भर है पाकिस्तान की खेती
पाकिस्तान की खेती सिंधु नदी पर निर्भर करती है। यदि भारत सिंधु से निकलने वाली नदियों के पानी को रोक दे तो पाकिस्तान में सूखे जैसी स्थिति हो सकती है। पाकिस्तान की 2 करोड़ 15 लाख हैक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई का पानी सिंधु और इसकी सहायक नदियों से ही जाता है और यदि यह पानी रोक दिया जाए तो पाकिस्तान में त्राहि-त्राहि मच जाएगी और इसका सबसे बुरा असर पाकिस्तानी पंजाब और सिंध के किसा पर होगा। इसके अलावा इसी पानी का इस्तेमाल पाकिस्तान के उद्योगों और पीने के लिए भी होता है और भारत के संधि तोडऩे और पानी रोकने पर पाकिस्तान पर बड़ी आॢथक मार पड़ेगी।

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