Edited By Rohini Oberoi,Updated: 22 Jan, 2025 11:10 AM
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भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका द्वारा तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने की योजनाओं के बाद भारत में अधिक अमेरिकी ईंधन आने की संभावना है। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक भारत...
नेशनल डेस्क। भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका द्वारा तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने की योजनाओं के बाद भारत में अधिक अमेरिकी ईंधन आने की संभावना है। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक भारत अपनी अधिकतर तेल आपूर्ति रूस से प्राप्त कर रहा था क्योंकि रूस भारत को कच्चा तेल कम कीमत पर दे रहा था। यह व्यापार रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण लगातार जारी है।
भारत को अधिक तेल आपूर्ति के संकेत
पुरी ने सीआईएएम (वाहन उद्योग संगठन) के एक कार्यक्रम में कहा कि अब भारत को तेल की आपूर्ति करने वाले देशों की संख्या 27 से बढ़कर 39 हो गई है। इसका मतलब है कि भारत ने अपनी तेल आपूर्ति के स्रोतों को और अधिक विविध बना लिया है। अगर भारत को और अधिक तेल की आपूर्ति होती है तो इसका स्वागत किया जाएगा।
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अमेरिका से अधिक तेल की संभावना
जब पेट्रोलियम मंत्री से पूछा गया कि अमेरिका से भारत को तेल मिलना बढ़ सकता है या नहीं तो उन्होंने इसका सीधा जवाब दिया, “अगर आप मुझसे पूछें कि क्या अमेरिका से अधिक ईंधन आने की संभावना है तो मेरा जवाब हां है। अगर आप कहते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच तेल की अधिक खरीद हो सकती है, तो इसका जवाब भी हां है।”
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रूस से तेल की आपूर्ति
अब तक भारत ने अपनी तेल की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा रूस से पूरा किया है। रूस ने भारत को डिस्काउंट रेट पर कच्चा तेल दिया था जो यूक्रेन युद्ध के बाद और भी बढ़ गया था लेकिन अब अमेरिका के उत्पादन बढ़ाने के बाद भारत के लिए विकल्पों की संख्या बढ़ सकती है जिससे रूस पर निर्भरता कम हो सकती है।
भारत के लिए नया अवसर
भारत के लिए यह समय एक नया अवसर हो सकता है क्योंकि ज्यादा देशों से तेल आपूर्ति होने से भारतीय बाजार में तेल की कीमतों पर प्रभाव पड़ेगा और भारत के लिए यह फायदाकारी हो सकता है। पेट्रोलियम मंत्री ने यह भी कहा कि अगर और अधिक अमेरिकी तेल आता है तो भारत इसका स्वागत करेगा क्योंकि इससे देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
इस बयान से यह साफ है कि भारत अपने ऊर्जा स्रोतों को और अधिक विविध बनाने की दिशा में काम कर रहा है और भविष्य में अधिक अमेरिकी तेल का आयात हो सकता है।