Edited By Tanuja,Updated: 18 Feb, 2025 06:02 PM
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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने रूस के साथ युद्धविराम के लिए अपने देश को सुरक्षा गारंटी देने की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि यूक्रेन में एक अंतरराष्ट्रीय शांति सेना...
International Desk: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने रूस के साथ युद्धविराम के लिए अपने देश को सुरक्षा गारंटी देने की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि यूक्रेन में एक अंतरराष्ट्रीय शांति सेना तैनात की जानी चाहिए। इस प्रस्ताव पर चीन के पूर्व कर्नल और रक्षा विशेषज्ञ झोउ बो ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि चीन के सैनिक, भारत जैसे गैर-नाटो देशों के साथ मिलकर युद्धविराम समझौते को लागू करने में मदद कर सकते हैं। झोउ बो, जो त्सिंगुआ यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड स्ट्रेटेजी के वरिष्ठ शोधकर्ता हैं, ने कहा कि चीन युद्ध के बाद शांति बहाल करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
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उन्होंने 1990 के दशक का उदाहरण दिया जब यूक्रेन ने अपने परमाणु हथियार छोड़े थे और चीन ने उसमें भागीदारी निभाई थी। झोउ के अनुसार, जब तक सामूहिक सुरक्षा गारंटी नहीं मिलेगी, तब तक यूक्रेन को रूस के हमले का डर बना रहेगा। झोउ बो ने कहा कि यूक्रेन में शांति स्थापित करने में चीन तीन तरह की भूमिका निभा सकता है।उन्होंने कहा कि चीन भारत और अन्य ताकतवर देशों के साथ मिलकर यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी देने में सहयोग कर सकता है। झोउ ने यूरोपीय सैनिकों की तैनाती को अव्यवहारिक बताया क्योंकि रूस इसे नाटो की उपस्थिति समझेगा, जिससे और तनाव बढ़ सकता है। चीन युद्ध के बाद यूक्रेन के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
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यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हाल ही में रूसी सीमा के पास 1 लाख सैनिकों की एक अंतरराष्ट्रीय शांति सेना तैनात करने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव तब आया जब अमेरिका ने यूक्रेन की नाटो सदस्यता की कोशिश को खारिज कर दिया। अब जेलेंस्की वैकल्पिक सुरक्षा उपायों की तलाश कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इसकी शांति सेना में 120 से अधिक देशों के सैनिक शामिल होते हैं, जिनमें नेपाल, बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में चीन और भारत के संभावित योगदान पर दुनिया की नजर बनी हुई है।