अमेरिकी दबाव के बीच भारत-चीन व्यापार संबंधों में नरमी, गैर-व्यापारिक बाधाओं को कम करने पर विचार

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 24 Mar, 2025 02:53 PM

india china trade relations slow down amid us pressure

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में, भारत अब गैर-व्यापारिक बाधाओं को कम करने और चीनी एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) में ढील देने पर विचार कर रहा है। अमेरिका द्वारा लगातार टैरिफ़ बढ़ाने के चलते भारत अपने व्यापार संबंधों को...

इंटरनेशन डेस्क: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में, भारत अब गैर-व्यापारिक बाधाओं को कम करने और चीनी एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) में ढील देने पर विचार कर रहा है। अमेरिका द्वारा लगातार टैरिफ़ बढ़ाने के चलते भारत अपने व्यापार संबंधों को संतुलित करने के लिए नए विकल्प तलाश रहा है। भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में, भारत सरकार अब बीजिंग से निवेश को अनुमति देने पर विचार कर रही है। 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद कई प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन अब इन प्रतिबंधों में ढील देने की चर्चा हो रही है।

सूत्रों के अनुसार, चीनी कंपनियों के निवेश के लिए मंजूरी की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है। अब तक, भारत की नीति थी कि किसी भी पड़ोसी देश से निवेश के लिए सरकार की मंजूरी आवश्यक होगी। लेकिन इस नीति में बदलाव संभव है, जिससे व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सके।

चीनी उत्पादों पर लग सकती हैं कम बाधाएं

व्यापारिक उद्योग की मांगों को देखते हुए, कुछ चीनी उत्पादों पर गैर-टैरिफ़ बाधाओं को हटाने की संभावना है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी उत्पाद और अन्य सामान शामिल हो सकते हैं। बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) प्रमाणन को अनिवार्य करने की योजना भी बनाई जा रही है, जिससे चीन से आने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।

चीनी कर्मियों के वीज़ा पर रुख में नरमी

भारत सरकार अब चीनी कर्मियों को वीज़ा देने में कुछ ढील देने पर विचार कर रही है। खासकर वे चीनी इंजीनियर और तकनीशियन जो भारतीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में काम कर रहे हैं, उनके लिए वीज़ा प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है।

अमेरिका को संकेत देना चाहता है भारत

भारत के इस कदम को अमेरिका के लिए एक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ दबाव के बीच, भारत यह दिखाना चाहता है कि वह चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत कर सकता है। इससे अमेरिका पर दबाव बनेगा कि वह भारत के साथ टैरिफ़ को लेकर नए सिरे से बातचीत करे।

चीन के लिए भी अहम है भारत

चीन भी भारत के साथ व्यापार बढ़ाने में रुचि दिखा रहा है। हाल के वर्षों में चीन ने भारत में निवेश बढ़ाने की इच्छा जाहिर की है। हालांकि, अब तक चीन भारत में एफडीआई के मामले में 22वें स्थान पर रहा है। लेकिन बढ़ते व्यापार घाटे को देखते हुए, बीजिंग चाहता है कि भारतीय बाजार में उसकी कंपनियों को अधिक अवसर मिले।

भारत-चीन व्यापार: आंकड़ों की जुबानी

  • वित्त वर्ष 2024 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 118.40 अरब डॉलर का रहा।

  • चीन, अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया।

  • भारत ने चीन से 101.74 अरब डॉलर का आयात किया, जो कुल आयात का 15% है।

  • 2023 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 83 अरब डॉलर से अधिक हो गया।

भारत के लिए बड़ी चुनौती

भारत और चीन के बीच व्यापार संतुलन भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। भारत मुख्य रूप से प्राथमिक वस्तुओं का निर्यात करता है, जबकि चीन के उच्च मूल्य वाले उत्पादों का आयात करता है। इसके अलावा, फार्मास्यूटिकल्स, आईटी और कृषि उत्पादों के निर्यात पर कई तरह की पाबंदियां भी हैं, जिससे व्यापार असंतुलन और बढ़ रहा है।

सरकार का आगे का रोडमैप

  1. गैर-टैरिफ़ बाधाओं को हटाने पर विचार – कुछ उत्पादों के आयात पर लगे प्रतिबंध हटाए जा सकते हैं।

  2. चीनी कर्मियों के वीज़ा में ढील – भारतीय कंपनियों में काम करने वाले चीनी कर्मियों के लिए वीज़ा नीति को सरल बनाया जाएगा।

  3. एफडीआई पर नए नियम – चीन से आने वाले निवेश के लिए मंजूरी की प्रक्रिया को सरल किया जा सकता है।

  4. अमेरिका को संतुलित करने की रणनीति – चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को सामान्य करने से अमेरिका पर दबाव बनाया जा सकता है।

 

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