भारत ने जैव विविधता योजना को किया अपडेट, 2030 तक 30% क्षेत्र संरक्षण का लक्ष्य

Edited By Parminder Kaur,Updated: 02 Nov, 2024 03:30 PM

india commits to 30 per cent protected areas in updated biodiversity plan

भारत ने अपने जैव विविधता कार्य योजना को अपडेट किया है और 2030 तक अपने स्थलीय, जल और समुद्री क्षेत्रों के 30 प्रतिशत को संरक्षित करने का संकल्प लिया है। यह नई राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना (NBSAP) 16वें UN जैव विविधता सम्मेलन में...

नेशनल डेस्क. भारत ने अपने जैव विविधता कार्य योजना को अपडेट किया है और 2030 तक अपने स्थलीय, जल और समुद्री क्षेत्रों के 30 प्रतिशत को संरक्षित करने का संकल्प लिया है। यह नई राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना (NBSAP) 16वें UN जैव विविधता सम्मेलन में कोलंबिया के काली में पेश की गई और इसमें 23 राष्ट्रीय लक्ष्य शामिल हैं।

ये लक्ष्य उन 23 वैश्विक लक्ष्यों के साथ मेल खाते हैं, जो क्यूमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचे (KM-GBF) के तहत निर्धारित किए गए हैं, जिसे 2022 में कनाडा में आयोजित 15वें UN जैव विविधता सम्मेलन में अपनाया गया था। KM-GBF का एक प्रमुख लक्ष्य 2030 तक दुनिया की ज़मीन और महासागर क्षेत्रों के कम से कम 30 प्रतिशत की रक्षा करना है। यह degraded ecosystems, जैसे कि जंगल, दलदल और नदियों की बहाली पर भी काम करेगा ताकि ये साफ पानी और हवा जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान कर सकें।

NBSAP में बताया गया है कि 2017-2018 से 2021-2022 के बीच भारत ने जैव विविधता संरक्षण, सुरक्षा और पुनर्स्थापन पर लगभग 32,200 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। अनुमान है कि 2029-2030 तक जैव विविधता संरक्षण के लिए वार्षिक खर्च 81,664.88 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

भारत की जैव विविधता रणनीति कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित है, जैसे जैव विविधता के खतरों को कम करना, लोगों की आवश्यकताओं को टिकाऊ उपयोग और लाभ साझा करने के माध्यम से पूरा करना और कार्यान्वयन के लिए उपकरण और समाधान विकसित करना।

जैव विविधता के खतरों को कम करने में प्रमुख 8 लक्ष्य शामिल हैं, जो भूमि और समुद्र के उपयोग में बदलाव, प्रदूषण, प्रजातियों का अत्यधिक उपयोग, जलवायु परिवर्तन और विदेशी प्रजातियों के प्रभावों पर केंद्रित हैं। इसके साथ ही पारिस्थितिकी तंत्रों की बहाली, प्रजातियों की विविधता की सुरक्षा और जंगली प्रजातियों का टिकाऊ उपयोग सुनिश्चित करने पर भी ध्यान दिया गया है।

लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने का विषय कृषि, मत्स्य पालन, वनों और पशुपालन के सतत प्रबंधन का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जो ग्रामीण जनसंख्या के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसमें जंगली प्रजातियों के सतत उपयोग, पारिस्थितिकी तंत्र सेवा प्रबंधन, हरे क्षेत्रों तक समान पहुंच जैव विविधता के लाभों का उचित वितरण और संरक्षण के लिए सार्वजनिक समर्थन को भी महत्वपूर्ण माना गया है।

समाधान प्रदान करने वाले विषय में 10 लक्ष्य शामिल हैं, जो विकास के लक्ष्यों में जैव विविधता को शामिल करने, टिकाऊ उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने, अपशिष्ट को कम करने, सब्सिडी को पुनर्परिभाषित करने, कौशल और ज्ञान साझा करने, संसाधनों को जुटाने और जैव विविधता संरक्षण में समावेशी और उचित योजना सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

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