चीन ने फिर दिया धोखा: लद्दाख के पास भूमि पर किया जबरन कब्जा और दो नए काउंटी बनाए, भारत ने जताया कड़ा विरोध (Video)

Edited By Tanuja,Updated: 04 Jan, 2025 05:18 PM

india confirm china occupied land illegally near ladakh

चीन ने हाल ही में होतान प्रांत में दो नए काउंटी बनाने की घोषणा की है, जो भारत के लद्दाख क्षेत्र की भूमि को शामिल करती है। इसके विरोध में भारत ने चीन से औपचारिक रूप से आपत्ति जताई....

International Desk: चीन ने हाल ही में होतान प्रांत में दो नए काउंटी बनाने की घोषणा की है, जो भारत के लद्दाख क्षेत्र की भूमि को शामिल करती है। इसके विरोध में भारत ने चीन से औपचारिक रूप से आपत्ति जताई है और क्षेत्र पर अपनी संप्रभुता का पुनः प्रमाण दिया है। साथ ही, भारत ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र (यारलुंग त्सांगपो) नदी पर बनने वाले मेगाहाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को लेकर भी अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं, जो अरुणाचल प्रदेश और असम से होकर बहती है। भारतीय अधिकारियों ने पुष्टि की है कि चीन ने लद्दाख के पास हमारी भूमि पर अवैध और जबरन कब्ज़ा कर लिया है। उन्होंने दो नए काउंटी भी बनाए हैं।
 भारत ने इसका ठोस विरोध दर्ज कराया है।

 

🚨 Official Confirmation of China occupying our land
- Indian officials confirm that China has occupied our land illegally and forcibly near Ladakh.
- They have even created two new counties.
- India's response: "We have lodged solid protest..."
Koi aaya nahin? pic.twitter.com/JG3g2tT7fb

— Manoj Arora (@manoj_216) January 4, 2025

भारत ने चीन के होतान प्रांत में He’an काउंटी और Hekang काउंटी के गठन पर “गंभीर विरोध” दर्ज कराया है, जिनमें लद्दाख के भारतीय क्षेत्र को शामिल किया गया है। ये काउंटी चीन के शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र में बनाई गई हैं, जो भारत के अनुसार उसकी संप्रभुता में हैं। भारत का यह विरोध 27 दिसंबर 2024 को चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ द्वारा रिपोर्ट किए गए बयान के बाद सामने आया, जिसमें इन काउंटी के गठन की पुष्टि की गई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयस्वाल ने शुक्रवार (3 जनवरी 2025) को मीडिया को संबोधित करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि भारत ने कभी भी चीन के “गैरकानूनी कब्जे” को स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इन नई काउंटी के गठन से भारत की संप्रभुता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

 

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जयस्वाल ने कहा"हमने कभी भी इस क्षेत्र में चीनी कब्जे को स्वीकार नहीं किया है। इन काउंटियों का निर्माण हमारे क्षेत्रीय संप्रभुता पर असर नहीं डालने वाला है और न ही यह चीन के अवैध कब्जे को वैधता प्रदान करेगा"। भारत ने चीन के तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र) पर मेगाहाइड्रो पावर प्रोजेक्ट बनाने की योजना को लेकर भी अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। यह नदी अरुणाचल प्रदेश और असम से होकर बहती है, और भारत को चिंता है कि इससे नदी के प्रवाह और जल संसाधनों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने इस बारे में चीन से पारदर्शिता की मांग की है और जलवायु व पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रोजेक्टों से पर्यावरणीय संकट पैदा हो सकता है, जो भारत के लिए महत्वपूर्ण जलस्रोतों पर असर डाल सकता है।
 

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होतान प्रांत, जो शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है, में अक्साई चिन के कुछ हिस्से शामिल हैं, जिसे भारत अपनी संप्रभुता का हिस्सा मानता है, जबकि चीन इसे नियंत्रित करता है। भारत इस क्षेत्र को लद्दाख का हिस्सा मानता है। इन नई काउंटियों का गठन चीन द्वारा क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। चीन की हालिया कार्रवाइयां, जैसे कि प्रशासनिक काउंटियों का गठन, इसे इस विवादित क्षेत्र पर अपनी संप्रभुता को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि चीन के द्वारा नए काउंटियों के गठन से भारत की संप्रभुता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस मुद्दे पर भारत ने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से चीन से अपना विरोध दर्ज कराया है। भारत के विरोध के बावजूद, चीन अपने क्षेत्रीय दावे पर कायम है और दावा करता है कि ये काउंटी बनाने के प्रयास सिर्फ प्रशासनिक सुधारों के तहत हैं। चीनी सरकार का कहना है कि ये कदम क्षेत्र की प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए उठाए गए हैं।

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