भारत-जर्मनी ने AI और सेमीकंडक्टर सहयोग के लिए तैयार किया रोडमैप

Edited By Parminder Kaur,Updated: 26 Oct, 2024 04:25 PM

india germany lay roadmap for ai and semiconductor collaboration

भारत और जर्मनी ने आज एक नवाचार और प्रौद्योगिकी का रोडमैप जारी किया है, जिसका उद्देश्य एआई, सेमीकंडक्टर्स और स्वच्छ ऊर्जा में सहयोग को बढ़ावा देना है। यह समझौता उन कई करारों में से एक है, जो शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज के...

नेशनल डेस्क. भारत और जर्मनी ने आज एक नवाचार और प्रौद्योगिकी का रोडमैप जारी किया है, जिसका उद्देश्य एआई, सेमीकंडक्टर्स और स्वच्छ ऊर्जा में सहयोग को बढ़ावा देना है। यह समझौता उन कई करारों में से एक है, जो शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज के बीच हुई अंतर-सरकारी आयोग (IGC) की बैठक में साइन किए गए।

दो दिन पहले जर्मनी ने भारत से हर साल 90,000 कुशल व्यक्तियों को भर्ती करने के लिए एक 'कुशल श्रमिक गतिशीलता रणनीति' की घोषणा की थी। इसके तहत आज दोनों पक्षों ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिसमें इंडिया-जर्मनी प्रबंधकीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 'कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण' के क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौता और 'श्रम और रोजगार के लिए संयुक्त घोषणा पत्र' शामिल हैं।

IGC बैठक में पीएम मोदी ने कहा- 'रक्षा, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, हरित और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में बढ़ती सहयोग दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास का प्रतीक बन गया है।' वहीं विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा- 'हमने जो कार्रवाई की है, वह बहुत आशाजनक है। यह एक स्वागतयोग्य विकास है और साथ में काम करने के लिए अधिक विश्वास प्रदान करता है।'

मिस्री ने बताया कि मोदी-शोल्ज वार्ता में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग भी शामिल था और आपराधिक और आतंकवादी अभियोजन के लिए आपसी कानूनी सहायता संधि मददगार होगी। मोदी ने पिछले हफ्ते जर्मन कैबिनेट द्वारा जारी 'भारत पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति' का स्वागत किया, जो भारत में जर्मन कंपनियों के निवेश को बढ़ावा देने की योजना है।

मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी एक मजबूत आधार बन गई है। यह कोई लेन-देन संबंध नहीं है, बल्कि सक्षम और मजबूत लोकतंत्रों की एक परिवर्तनकारी साझेदारी है। इंडो-पैसिफिक के संदर्भ में, मोदी ने कहा- इस क्षेत्र में कानून के शासन और नौवहन की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंताएँ हैं। हालांकि उन्होंने चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा दक्षिण चीन सागर में चीनी वर्चस्व की ओर था।

इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष चिंता का विषय हैं और भारत शांति की बहाली के लिए हर संभव योगदान देने के लिए तैयार है।

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