शहरी-ग्रामीण अंतर कम होने से भारत में गैर-खाद्य वस्तुओं पर घरेलू खर्च बढ़ा

Edited By Parminder Kaur,Updated: 29 Dec, 2024 03:06 PM

india household spending on non food items rises as urban rural gap narrows

2023/24 के लिए किए गए एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय घरों में खाद्य वस्तुओं जैसे गेहूं और चावल पर खर्च में कमी आई है, जबकि परिवहन, वस्त्र और मनोरंजन जैसी गैर-खाद्य वस्तुओं पर खर्च बढ़ा है। इस सर्वेक्षण में यह पाया गया कि ग्रामीण और शहरी दोनों...

नेशनल डेस्क. 2023/24 के लिए किए गए एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय घरों में खाद्य वस्तुओं जैसे गेहूं और चावल पर खर्च में कमी आई है, जबकि परिवहन, वस्त्र और मनोरंजन जैसी गैर-खाद्य वस्तुओं पर खर्च बढ़ा है। इस सर्वेक्षण में यह पाया गया कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में इस प्रकार के खर्च में वृद्धि हुई है।

यह "हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे" (Household Consumption Expenditure Survey) अगस्त 2023 से जुलाई 2024 तक किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति खर्च का लगभग 53% हिस्सा गैर-खाद्य वस्तुओं पर जा रहा है, जबकि 2011/12 में यह हिस्सा लगभग 47% था। शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 60% तक पहुंच गया है, जो 2011/12 में करीब 57% था।

खाद्य वस्तुओं के खर्च में गिरावट

इस बदलते खर्च के पैटर्न का असर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर पड़ सकता है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा मौद्रिक नीति बनाने में उपयोग किया जाता है। इस बदलाव के कारण विशेषज्ञों का अनुमान है कि भविष्य में भारत के CPI में खाद्य वस्तुओं का वजन कम हो सकता है। इसके अलावा केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के अधिकारियों ने पहले यह संकेत दिया था कि वे खुदरा महंगाई डेटा के लिए आधार वर्ष 2012 को बदलकर 2024 करने की योजना बना रहे हैं, ताकि ये बदलाव आंकड़ों में शामिल किए जा सकें।

शहरी-ग्रामीण खर्च में फर्क घटा

रिपोर्ट के अनुसार, 2023/24 में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच प्रति व्यक्ति खर्च का अंतर घटकर 70% हो गया है, जो 2011/12 में 84% था। यह दर्शाता है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के खर्च के पैटर्न में थोड़ी समानता आ रही है।

कृषि और शहरी क्षेत्र में खर्च में वृद्धि

रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 9.55% बढ़कर 4,122 रुपये ($48.23) हो गया, जबकि पिछले वर्ष यह 3,773 रुपये था। शहरी क्षेत्रों में खर्च 8.31% बढ़कर 6,996 रुपये हो गया, जो पिछले वर्ष 6,459 रुपये था। हालांकि, महंगाई के हिसाब से आंकड़े देखने पर ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च केवल 3.5% बढ़ा, जबकि शहरी क्षेत्रों में खर्च पर महंगाई का असर ज्यादा पड़ा और खर्च की वृद्धि 5.5% की खुदरा महंगाई के कारण सीमित रही।

2011/12 के मुकाबले खर्च में वृद्धि

2011/12 के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च 45.4% बढ़ा है, जो शहरी क्षेत्रों में 38.1% की वृद्धि से ज्यादा है। इससे यह साबित होता है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च की प्रवृत्तियाँ शहरी क्षेत्रों के करीब आ रही हैं और दोनों क्षेत्रों के बीच खर्च का अंतर घट रहा है।

उपभोक्ता खर्च का अर्थव्यवस्था में महत्व

भारत की अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता खर्च का बहुत बड़ा योगदान है, जो लगभग 58% आर्थिक गतिविधियों में शामिल होता है। यह खर्च भारत की तृतीयक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक चालक बना हुआ है।

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