Edited By Parveen Kumar,Updated: 22 Feb, 2025 06:12 PM
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कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विदेशी फलों और पारंपरिक खाद्य पदार्थों का निर्यात भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य भारतीय किसानों को नए अवसर प्रदान करना है।
नेशनल डेस्क : कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विदेशी फलों और पारंपरिक खाद्य पदार्थों का निर्यात भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य भारतीय किसानों को नए अवसर प्रदान करना है।
हाल ही में, भारत ने समुद्र के रास्ते ऑस्ट्रेलिया को प्रीमियम सांगोला और भगवा अनार का पहला निर्यात किया। इससे कम लागत में थोक में निर्यात करने में मदद मिलेगी, ऑस्ट्रेलिया में भारतीय ताजे फलों का बाजार बढ़ेगा और भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में स्थिति मजबूत होगी।
2023 में, अमेरिका को भगवा अनार के परीक्षण निर्यात के बाद, भारतीय अनार पश्चिमी बाजारों में लोकप्रिय हो चुके हैं। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले से देश के अनार निर्यात का आधा हिस्सा आता है।
सरकार की भौगोलिक संकेत (जीआई) टैगिंग ने भारत के खास फलों को प्रमोट करने में अहम भूमिका निभाई है। जैसे, पुरंदर अंजीर का स्वाद और बनावट यूरोप में लोकप्रिय हो रहा है। 2024 में, भारत ने पोलैंड को पुरंदर अंजीर से बना रेडी-टू-ड्रिंक जूस भेजा था, जिसे पहले जर्मनी को भेजा गया था।
2022 में, भारत ने केरल के एर्नाकुलम जिले से “वझाकुलम अनानास” का पहला निर्यात दुबई और शारजाह को किया। इसके अलावा, 2021 में भारत ने “कमलम” नामक ड्रैगन फ्रूट को लंदन और बहरीन भेजा था।
पूर्वोत्तर भारत के क्षेत्र को भी निर्यात से फायदा हुआ है। 2021 में, असम ने बर्मी अंगूर 'लेटेकू' का पहला निर्यात दुबई भेजा, और त्रिपुरा ने ताजा कटहल जर्मनी को भेजा। इसके अलावा, नागालैंड से ‘राजा मिर्च’ (किंग चिली) को लंदन भेजा गया।
भारत के चावल निर्यात में भी शानदार वृद्धि हुई है। 2021 में, असम से 'लाल चावल' की पहली खेप अमेरिका को भेजी गई थी। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 में भारत का चावल निर्यात 44.61% बढ़कर 1.37 बिलियन डॉलर हो गया। इससे यह साबित होता है कि भारत का कृषि क्षेत्र मजबूत हो रहा है और देश के निर्यात में योगदान बढ़ रहा है।