Edited By Parminder Kaur,Updated: 20 Mar, 2025 04:27 PM

भारत में कई राजमहल और किलों का इतिहास है, जिनकी अपनी अलग कहानियाँ और राजकुमारियों के किस्से हैं। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे महल की, जिसे अपने अनोखे निर्माण और इतिहास के कारण 'मनहूस' महल भी कहा जाता है। यह महल मध्य प्रदेश के दातिया जिले में स्थित है...
नेशनल डेस्क. भारत में कई राजमहल और किलों का इतिहास है, जिनकी अपनी अलग कहानियाँ और राजकुमारियों के किस्से हैं। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे महल की, जिसे अपने अनोखे निर्माण और इतिहास के कारण 'मनहूस' महल भी कहा जाता है। यह महल मध्य प्रदेश के दातिया जिले में स्थित है और इसका नाम सतखंडा महल है।
अद्भुत निर्माण और 400 साल की वीरानी
सतखंडा महल अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है, लेकिन यह महल 400 साल से वीरान पड़ा हुआ है। यह महल बिना किसी सहारे के खड़ा है और आज तक इसमें कोई नहीं रहा। यह महल कभी भी राजपरिवार के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल नहीं किया गया, जिससे लोग इसे 'बदकिस्मत' या 'मनहूस' महल मानते हैं।
बीर सिंह देव का सपना
सतखंडा महल का निर्माण महाराज बीर सिंह देव ने करवाया था, जो दतिया के राजा थे। राजा ने इस महल का निर्माण 1620 में शुरू किया और इस पर लगभग 35 लाख रुपये खर्च किए। महल का निर्माण 9 साल तक चला और इसकी वास्तुकला और नक्काशी के कारण इसे एक विशेष पहचान मिली है।
बिना किसी सहारे से खड़ा महल
सतखंडा महल की सबसे खास बात यह है कि इसे बनाने में लकड़ी या लोहे जैसी किसी सामग्री का उपयोग नहीं किया गया है। यह महल 7 मंजिलों का है, जिनमें से दो मंजिलें पानी के नीचे हैं। इसके बावजूद यह महल आज तक अपनी जगह पर खड़ा है और इसकी संरचना बेहद मजबूत है।
मंदिर और दरगाह का अद्भुत संयोजन
इस महल में मंदिर और दरगाह दोनों मौजूद हैं, जो इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं। महल की डिजाइन में खास ध्यान दिया गया है ताकि यह भारतीय वास्तुकला की अद्भुत मिसाल बन सके।