Edited By Rohini Oberoi,Updated: 09 Apr, 2025 04:50 PM
भारत ने इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 28 मार्च 2025 को 2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की घोषणा की है। यह योजना छह साल तक चलेगी और इसका उद्देश्य देश में इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण...
नेशनल डेस्क। भारत ने इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 28 मार्च 2025 को 2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की घोषणा की है। यह योजना छह साल तक चलेगी और इसका उद्देश्य देश में इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता को कम करना और स्थानीय उत्पादन को बढ़ाना है। इसके तहत अनुमान है कि इस पहल से 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश आएगा और लगभग 91,600 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
इस योजना का मुख्य लक्ष्य है प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक घटकों का स्थानीय स्तर पर निर्माण करना। इन घटकों में सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले, कैमरा मॉड्यूल, एनक्लोजर, और अन्य छोटे घटक शामिल हैं जिन्हें अब तक आयात किया जाता रहा है। योजना के तहत इन महत्वपूर्ण घटकों का स्थानीय उत्पादन बढ़ाकर भारत अपनी आयात निर्भरता को कम करेगा और घरेलू विनिर्माण को मजबूती देगा।
यह पहल भारत के पहले से चल रहे पीएलआई योजनाओं का विस्तार है। 2020 में स्मार्टफोन असेंबली को बढ़ावा देने के लिए भी एक पीएलआई योजना शुरू की गई थी लेकिन अब यह योजना व्यापक रूप से सभी प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक घटकों को कवर करेगी। इससे न केवल देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का स्तर बढ़ेगा बल्कि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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भारत ने हाल ही में स्मार्टफोन निर्माण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है लेकिन इस समय स्मार्टफोन में स्थानीय मूल्य संवर्धन का हिस्सा मात्र 17-18% है। अधिकांश प्रमुख घटक जैसे सेमीकंडक्टर आयात किए जाते हैं। इस नई योजना के तहत भारत इन घटकों को अपने देश में ही बनाने की दिशा में काम करेगा जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
सरकार ने इस योजना में रोजगार सृजन को भी एक महत्वपूर्ण पहलू माना है। योजना के तहत प्रोत्साहन तीन तरीके से दिए जाएंगे: टर्नओवर लिंक्ड (राजस्व के आधार पर), कैपेक्स इंटेंसिव (प्लांट और मशीनरी में निवेश के लिए) और हाइब्रिड (दोनों का संयोजन)। खास बात यह है कि सरकार ने इस योजना को रोजगार सृजन से जोड़ते हुए यह सुनिश्चित किया है कि इसका फायदा न केवल विनिर्माण क्षेत्र को मिले बल्कि कुशल रोजगार के नए अवसर भी पैदा हों।
भारत के लिए यह योजना केवल घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने का सवाल नहीं है बल्कि इसके जरिए भारत वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाने की ओर कदम बढ़ा रहा है। हालांकि अभी यह देखना बाकी है कि क्या सरकार अन्य वैश्विक कंपनियों को भी इसी तरह के प्रोत्साहन देगी और क्या सेमीकंडक्टर फैब और आर एंड डी केंद्रों जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास तेजी से होगा।
यह पहल भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक मजबूत आधार साबित हो सकती है और इसे वैश्विक स्तर पर प्रमुख उत्पादक के रूप में स्थापित कर सकती है।