Edited By Mahima,Updated: 09 Sep, 2024 09:39 AM
दुनिया भर में प्लास्टिक प्रदूषण रैंकिंग में भारत में पहले नंबर पर आ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक यहां सालाना 9.3 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। जो वैश्विक प्लास्टिक उत्सर्जन का लगभग पांचवां हिस्सा है।
नेशनल डेस्क: दुनिया भर में प्लास्टिक प्रदूषण रैंकिंग में भारत में पहले नंबर पर आ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक यहां सालाना 9.3 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। जो वैश्विक प्लास्टिक उत्सर्जन का लगभग पांचवां हिस्सा है। नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि भारत की आधिकारिक कचरा उत्पादन दर लगभग 0.12 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन है, लेकिन इसे संभवतः कम आंका गया है। इसके अलावा कचरे के संग्रहण का आंकड़ा भी गलत है। अध्ययन के मुताबिक ऐसा इसलिए कहा गया है, क्योंकि आधिकारिक आंकड़ों में ग्रामीण क्षेत्र, बिना एकत्र किए गए कचरे को खुले में जलाना या अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा रिसाइकिल (पुनर्चक्रण) कचरा शामिल नहीं हैं।
भारत के बाद नाइजरिया दूसरे नंबर पर
भारत के बाद नाइजरिया दूसरे नंबर पर है, जहां 3.5 मीट्रिक टन प्लास्टिक प्रदूषण होता है, जबकि 0 .4 मीट्रिक टन उत्सर्जन के साथ इंडोनेशिया तीसरे स्थान पर है। इस रिसर्च पेपर के लेखकों में से एक और लीड्स विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के रिसोर्स एफिशिएंसी सिस्टम्स के एकेडमिक कोस्टास वेलिस कहते हैं कि भारत अब सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। प्लास्टिक प्रदूषण से आशय है, प्लास्टिक को खुले में अनियंत्रित तरीके से जलाना, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया या इसे कम करके आंका गया। और यही वजह है कि भारत एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।
चीन ने कचरा प्रबंधन में किया बड़ा निवेश
पिछले अध्ययनों में चीन को वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला देश बताया गया था। शोधकर्ताओं ने लिखा है कि नए अध्ययन में, जिसमें हाल के डाटा का उपयोग किया गया है, चीन को चौथे स्थान पर रखा गया है, जिससे पता चलता है कि चीन में कचरे का निस्तारण व नियंत्रित लैंडफिल बढ़ा है। वेलिस ने कहा कि भारत के समान आबादी वाले चीन ने पिछले 15 वर्षों में नगरपालिका ठोस अपशिष्ट के लिए संग्रह और प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे और सेवाओं में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। विशेषज्ञ ने यह भी उल्लेख किया कि पिछले अध्ययनों में चीन जैसे प्रमुख प्रदूषकों के लिए पुराने डाटा का उपयोग किया गया था, जो यह बता सकता है कि उनके उत्सर्जन को अधिक क्यों आंका गया था। उन्होंने कहा कि नया अध्ययन उत्पन्न अप्रतिबंधित कचरे के लिए सुधार एल्गोरिदम का उपयोग करता है।